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किसान आंदोलन : घर-गृहस्थी में सामंजस्य बनाने के साथ प्रदर्शन में भी साथ दे रही हैं सैकड़ों महिलाएं

By भाषा | Updated: December 13, 2020 15:21 IST

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(त्रिशा मुखर्जी)

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर खेत और परिवार की जिम्मेदारियों से घिरी पंजाब और हरियाणा की सैकड़ों महिलाएं अब किसानों के आंदोलन में शामिल होकर अपनी व्यस्त जिंदगी के एक अलग ही पहलु से रुबरु हो रही हैं। दोनों राज्यों से आईं ये महिलाएं दिल्ली के विभिन्न प्रवेश मार्गों पर किसानों के साथ कृषि कानूनों का विरोध कर रही हैं।

केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए जब उनके पति, बेटा और भाई घर से निकले तो वे भी उनके साथ हो लीं और गांव से राष्ट्रीय राजधानी की तरीफ कूच कर दिया।

लुधियाना की रहने वाली 53 वर्षीय मनदीप कौर ने कहा, ‘‘खेती के पेशे की पहचान लिंग से नहीं की जा सकती है। हमारे खेतों में मर्द और औरत के आधार पर फसल पैदा नहीं होती। कई पुरुष किसान यहां प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में हमें घरों में क्यों बैठना चाहिए।’’ उन्होंने रूढ़िवादी भूमिका को भी खारिज कर दिया।

मनदीप बस के जरिये सिंघु बॉर्डर पर आई जहां पर करीब दो हफ्ते से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है और रात में प्रदर्शन कर घर लौट गई।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं वापस आऊंगी। हमें अपना घर भी देखना है और लड़ाई भी जारी रखनी है। यहां आने से पहले मैंने खेतों में सिंचाई की और मेरे लौटने तक उसमें नमी रहेगी।’’

उल्लेखनीय है कि दिल्ली को पंजाब के शहरों से जोड़ने वाले मुख्य मार्ग टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर जहां पुरुष प्रदर्शनकारी जमें हुए हैं, वहीं महिलाएं प्रदर्शन स्थल और अपने घरों के बीच संतुलन बनाने के लिए आ-जा रही हैं ताकि घर और खेतों की देखभाल भी कर सकें और प्रदर्शन में भी अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर सकें।

मनदीप के साथ बस से पांच घंटे का सफर कर लुधियाना से सिंघु बॉर्डर उनकी पड़ोसी सुखविंदर कौर भी पहुंची हैं।

कौर 68 वर्षीय विधवा हैं और घर में बैठ कर उब गई थीं क्योंकि परिवार के पुरुष सदस्य प्रदर्शन स्थल पर हैं और इसलिए उन्होंने थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन दिल्ली की सीमा पर आने का फैसला किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं रात को ठीक से सो नहीं पा रही थी। मैं घर में नहीं बैठ सकती जब भाई और भांजे और मेरे सभी किसान भाई यहां लड़ रहे हैं। यहां आने पर पहली बार रात को मैं ठीक से सोई।’’

उन्होंने कहा कि यहां पर सुविधा नहीं है और शौचालय की समस्या है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उल्लेखनीय है कि मनदीप कौर सहित सैकड़ों महिलाएं अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन खालसा ऐड द्वारा मुहैया कराए गए टेंट में रह रही हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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