किसान आंदोलन : जलते चूल्हे की आग से किसानों को सड़क पर लड़ाई लड़ने की मिल रही ताकत

By भाषा | Updated: January 10, 2021 17:39 IST2021-01-10T17:39:01+5:302021-01-10T17:39:01+5:30

Farmer Movement: Farmers are getting the power to fight on the road due to burning stove | किसान आंदोलन : जलते चूल्हे की आग से किसानों को सड़क पर लड़ाई लड़ने की मिल रही ताकत

किसान आंदोलन : जलते चूल्हे की आग से किसानों को सड़क पर लड़ाई लड़ने की मिल रही ताकत

(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, 10 जनवरी दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघू बॉर्डर पर पिछले करीब 40 दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच दो चीजों की अब तक कमी नहीं हुई है तो वह है उनके खाने-पीने का सामान और उनका जज्बा।

इस संघर्ष के केंद्र में तो सड़क पर हो रहा प्रदर्शन है लेकिन इनको ताकत प्रदर्शन स्थल के पास बनी रसोई में जल रहे चूल्हों की आग से मिल रही है जो कड़कड़ाती सर्दी में भी उनकी पेट की आग को शांत कर संघर्ष की ज्वाला को जलाए हुए है।

सिंघू बॉर्डर पर अधिकतर किसान पंजाब से आए हैं और केंद्र के तीन कानूनों के खिलाफ अपने नेताओं द्वारा किए गए ‘दिल्ली चलो’ के आह्वान पर गत वर्ष 26 नवंबर से जमे हुए हैं।

प्रदर्शन स्थल पर दिनभर भाषणों का दौर, विरोध के तराने और ‘सडा हक, ऐथे रख’ और ‘जो बोले सो निहाल’ जैसे नारे आम हैं।

वहीं दूसरी ओर लंगर में हजारों प्रदर्शनकारियों के लिए खाना बनता है जो केंद्र द्वारा मांगे माने जाने तक प्रदर्शन स्थल से हटने के मूड में नहीं है।

गुरदासपुर से आए 45 वर्षीय पलविंदर सिंह ने कहा कि वह एक दिन सिंघू बॉर्डर पर जत्थे के साथ बीच सड़क पर रसोई घर बनाने के लिए आए।

उन्होंने बताया कि वह सुबह की शुरुआत स्नान के साथ करते हैं और इसके बाद प्रार्थना करते हैं।

पलविंदर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘क्रांति खाली पेट नहीं आ सकती। हम किसान हैं और हम अपने सिख गुरुओं के आदेश का पालन कर रहे हैं। यह गुरु का लंगर है और यह उनकी कृपा है, हम तो मात्र उनकी इच्छा की पूर्ति करने का माध्यम हैं। इसलिए यह हम यहां चूल्हा जलाए हुए हैं।’’

उन्होंने बताया कि यहां बने रसोईघर में सभी पुरुष और महिलाएं काम कर रही हैं और 40 दिन हो गए हैं ऐसा करते हुए लेकिन कोई सेवा का श्रेय नहीं लेता।

पलविंदर ने कहा, ‘‘हम यहां यह जानते हुए आए कि आंसू गैस के गोले एवं पानी की बौछारों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन हम लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं और खुद अपने साथ सब्जी और खाने-पीने का सामान लेकर आए हैं। हम केवल पुरुषों और महिलाओं को नहीं खिला रहे हैं बल्कि क्रांति का पोषण कर रहे हैं।’’

पलविंदर सिंघू बॉर्डर पर स्थापित जिस रसोई घर में काम कर रहे हैं उसमें करीब 200 लोग विभिन्न पालियों में काम करते हैं। यहां पर रोटी बनाने की मशीन लगाई गई है।

रसोई घर के बाहर सभी लोग कतार में खड़े होकर भोजन लेते हैं। इस रसोईघर में सब्जी, चावल, खीर, हलवा और अन्य व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

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Web Title: Farmer Movement: Farmers are getting the power to fight on the road due to burning stove

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