सोमवार को भूख हड़ताल करेंगे किसान नेता, दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर यातायात रोका गया

By भाषा | Updated: December 13, 2020 23:53 IST2020-12-13T23:53:18+5:302020-12-13T23:53:18+5:30

Farmer leaders will go on hunger strike on Monday, traffic stopped on Delhi-Jaipur highway | सोमवार को भूख हड़ताल करेंगे किसान नेता, दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर यातायात रोका गया

सोमवार को भूख हड़ताल करेंगे किसान नेता, दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर यातायात रोका गया

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर प्रदर्शनकारी किसान संघों के नेताओं ने कहा है कि वे सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे और नए कृषि कानूनों की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिये सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किया जाएगा।

इस बीच, दिल्ली की ओर बढ़ रहा प्रदर्शनकारियों का विशाल समूह दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर रहा है, जिसे पुलिस ने हरियाणा-राजस्थान सीमा पर रोक लिया है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी सोमवार को दिनभर का उपवास रखेंगे। उन्होंने सोमवार को केंद्र सरकार से ‘‘अहंकार’’ छोड़कर और आंदोलनकारी किसानों की मांग के मुताबिक तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की अपील की।

सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर पिछले 18 दिन से चल रहे प्रदर्शनों में पंजाब और अन्य राज्यों से और किसानों का आना जारी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि सरकार जल्द ही बैठक की नयी तिथि तय करेगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि बार मुद्दे का हल निकल जाएगा।

सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि नेता अपने-अपने स्थानों पर सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे।

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ''देशभर के सभी जिला मुख्यालयों में धरने दिये जाएंगे। प्रदर्शन इसी प्रकार चलता रहेगा।''

वहीं प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह ने देर रात केन्द्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह तथा नरेन्द्र तोमर के साथ बैठक के बाद चिल्ला की ओर जाने वाला नोएडा-दिल्ली लिंक रोड खाली कर दिया है, लेकिन चढूनी ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार के साथ साठगांठ थी।

चढूनी ने कहा, ''कुछ समूह प्रदर्शन खत्म कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वे सरकार द्वारा पारित कानूनों के पक्ष में हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि वे हमसे नहीं जुड़े हैं। उनकी सरकार के साथ साठगांठ है। उन्होंने हमारे आंदोलन को कमजोर करने का षड़यंत्र रचा। सरकार किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिये साजिश रच रही है।''

एक ओर जहां किसान आने वाले दिनों में आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई केन्द्रीय मंत्री बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि माओवादियों, वामपंथियों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों ने किसानों के आंदोलन पर कब्जा कर लिया है। प्रदर्शनकारी किसान संघों के नेताओं इस आरोप को खारिज कर दिया है।

आंदोलन का समर्थन कर रहे विपक्षी दलों के नेताओं के बयानों से भी सियासी पारा चढ़ गया है। राकांपा ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री को केन्द्रीय मंत्रियों के दावों पर स्पष्टीकरण देना चाहिये।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रविवार को कहा कि नये कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिये इस शब्द का इस्तेमाल करती है।

केंद्रीय कानून मंत्री प्रसाद ने पटना जिले में बख्तियार विधानसभा क्षेत्र के टेकबीघा गांव में इन तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में भाजपा की बिहार इकाई के ‘किसान चौपाल सम्मेलन’ का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।

वहीं, केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने विपक्षी दलों पर नए कृषि कानूनों के बारे में दुष्प्रचार करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि इन कानूनों से ''कुछ समय के लिये परेशानियां हो सकती हैं'', लेकिन लंबे समय में ये किसानों के लिये फायदेमंद साबित होंगे।

गतिरोध खत्म करने के लिये 40 प्रदर्शनकारी किसान संघों के साथ चल रही वार्ता का नेतृत्व कर रहे तोमर कानूनों को समर्थन देने आए उत्तराखंड के 100 से अधिक किसानों के प्रतिनिधिमंडल को संबोधित कर रहे थे।

कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे भी बैठक में मौजूद थे।

तोमर ने प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए कहा कि जब जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिया, तब सरकार को विरोध का सामना करना पड़ा। इसी तरह नागरिकता कानून में स‍ंशोधन और राम मंदिर के मुद्दे पर भी विरोध किया गया।

उन्होंने कहा, ''जब कृषि सुधार लाए गए तो उस पर भी विरोध हुआ...कुछ लोग केवल विरोध करके देश को कमजोर करना चाहते हैं। यह उनकी आदत बन गई है।''

केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी से ''पीटीआई-भाषा'' ने पूछा कि अगले दौर की वार्ता कब शुरू होगी तो उन्होंने कहा, ''बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी। हम बातचीत के लिये तैयार हैं। तारीख अभी तय नहीं हुई है। ''

उन्होंने कहा कि सरकार गतिरोध को खत्म करने के लिये रास्ते तलाश रही है। अगली बैठक में मुद्दा सुलझ जाएगा।

वहीं, पंजाब के उप महानिरीक्षक (कारागार) लखमिंदर सिंह जाखड़ ने कहा कि उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

डीआईजी जाखड़ ने बताया कि उन्होंने शनिवार को अपना इस्तीफा राज्य सरकार को दिया।

प्रधान सचिव (गृह) को भेजे अपने त्याग पत्र में जाखड़ ने कहा कि वह अपने किसान भाइयों के साथ खड़ा होने के लिए सोच समझकर और आत्मविश्लेषण कर यह निर्णय ले रहे हैं।

उन्होंने पत्र में कहा है कि किसान कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, ''सरकारी एजेसियां किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोक रही हैं, लेकिन जब तक उनकी मांगे नहीं मान ली जातीं तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।''

उन्होंने कहा, ''हमारा रुख स्पष्ट है, हम चाहते हैं कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। इस आंदोलन में भाग ले रहे सभी किसान संघ एकजुट हैं।''

वहीं, राजस्थान और कुछ अन्य स्थानों के किसान दिल्ली की तरफ अपने मार्च के लिये हरियाणा-राजस्थान सीमा पर रेवाड़ी के निकट रविवार को बड़ी संख्या में एकत्र हुए और हरियाणा पुलिस द्वारा उन्हें रोकने के लिये बैरीकेड लगाए जाने के बाद दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक तरफ धरने के लिये बैठ गए।

रेवाड़ी के पुलिस अधीक्षक अभिषेक जोरवाल ने मौके पर मौजूद संवाददाताओं को बताया कि जिला प्रशासन ने धारा 144 लगा रखी है जिसके तहत पांच या उससे ज्यादा लोगों के एक साथ एकत्र होने पर पाबंदी है।

उन्होंने कहा, “हमनें बैरीकेड लगा रखे हैं और हम उन्हें यहां रोकने की कोशिश करेंगे।” उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस के पर्याप्त जवानों के अलावा अर्धसैनिक बलों की तीन कंपनियों को भी कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये लगाया गया है।

किसान राजस्थान-हरियाणा सीमा (एनएच-48) से लगे रेवाड़ी के जयसिंहपुर खेड़ा इलाके में धरने पर बैठे हैं। वहां से गुरुग्राम 70 किलोमीटर और दिल्ली करीब 80 किलोमीटर दूर है।

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