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किसान नेताओं ने कृषि कानूनों पर रोक लगाने के न्यायालय के फैसले का स्वागत किया, कहा-आंदोलन जारी रहेगा

By भाषा | Updated: January 12, 2021 16:52 IST

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नयी दिल्ली, 12 जनवरी किसान नेताओं ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का मंगलवार को स्वागत किया, लेकिन कहा कि जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।

करीब 40 आंदोलनकारी किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले कदम पर विचार करने के लिए आज एक बैठक बुलाई है।

किसान नेताओं ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की तरफ से नियुक्त किसी भी समिति के समक्ष वे किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं लेकिन इस बारे में औपचारिक निर्णय मोर्चा लेगा।

मोर्चा के वरिष्ठ नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कृषि कानूनों पर रोक लगाने के अदालत के आदेश का हम स्वागत करते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि कानून पूरी तरह वापस लिए जाएं, जो हमारी मुख्य मांग है।’’

एक अन्य किसान नेता हरिंदर लोखवाल ने कहा कि जब तक विवादास्पद कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते हैं, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।

अखिल भारतीय किसान सभा (पंजाब) के उपाध्यक्ष लखबीर सिंह ने कहा, ‘‘समिति के विचार पर हमें विश्वास नहीं है और जब सरकार ने समिति के गठन का सुझाव दिया था तभी से हम यह कहते रहे हैं। लेकिन इस बार उच्चतम न्यायालय ने ऐसा कहा है और हम इस समिति के कामकाज को देखेंगे।’’

मोर्चा ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि संगठन शीर्ष अदालत की तरफ से नियुक्त समिति की किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अगले आदेश तक विवादास्पद कृषि कानूनों पर रोक लगा दी और एक समिति का गठन करने का निर्णय किया ताकि केंद्र और किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध का समाधान किया जा सके। इन कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इस बारे में आदेश पारित करेगी।

समिति तीनों कानूनों के खिलाफ किसानों की शिकायतों पर गौर करेगी।

भारतीय किसान संगठन (पंजाब) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनजीत सिंह ने कहा, ‘‘आंदोलन जारी रहेगा। हम समिति के विचार के खिलाफ हैं, लेकिन सरकार की तरफ से बनाई गई समिति और उच्चतम न्यायालय द्वारा बनाई गई समिति में अंतर है।’’

उच्चतम न्यायालय की तरफ से बनाई गई चार सदस्यों की समिति में बीकेयू के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के महाराष्ट्र अध्यक्ष अनिल घनावत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं।

शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारी किसानों से सहयोग करने के लिए कहा है और स्पष्ट किया है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के समाधान के लिए समिति गठित करने से उसे कोई ताकत नहीं रोक सकती है।

हरियाणा और पंजाब सहित देश के विभिन्न हिस्सों के किसान पिछले वर्ष 28 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं और तीनों कानूनों को वापस लेने तथा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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