चंडीगढ़, 18 दिसंबर किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने शनिवार को अपनी राजनीतिक पार्टी ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ बनायी और कहा कि यह अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। उन्होंने राज्य में अफीम की खेती किये जाने की वकालत की।
चढ़ूनी संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सदस्य हैं, जो 40 किसान संघों का संगठन है। एसकेएम ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल तक चले किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया। बाद में इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया।
चढ़ूनी ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम संयुक्त संघर्ष पार्टी बना रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि पार्टी अगले साल की शुरुआत में होने वाले पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य राजनीति में शुचिता तथा अच्छे लोगों को आगे लाना होगा।’’ वह हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भी हैं।
राजनीतिक नेताओं की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि वे ‘‘गरीबों के हितों को नजरअंदाज करते हुए पूंजीपतियों के पक्ष’’ में नीतियां बनाते हैं।
एक सवाल के जवाब में चढ़ूनी ने कहा कि वह आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में सभी 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश करेगी। किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी इस संबंध में फैसला नहीं किया गया है।
उन्होंने राज्य में कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने पर जोर ताकि रोजगार के अवसर पैदा हो सके और फूलों के साथ ही अन्य फसलें लगाई जाएं, जिसकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में है।
उन्होंने पंजाब में अफीम की खेती शुरू करने की भी वकालत की। उन्होंने कहा, ‘’ अगर अफीम की खेती की अनुमति मिले तो पंजाब काफी प्रगति कर सकता है।’’
‘मिशन पंजाब’ के समर्थक चढ़ूनी राज्य के किसान संगठनों से आगामी चुनाव लड़ने के लिए कहते रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति ‘पूंजीपतियों द्वारा देश पर कब्जा करने’ के लिए जिम्मेदार है और यह एक आदमी के लिए अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल बना रही है। उन्होंने कहा कि बदलाव लाने की जरूरत है और उन लोगों को बाहर करने की जरूरत है, जो देश को ‘लूट’ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त संघर्ष पार्टी धर्मनिरपेक्ष होगी और यह समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम करेगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र का कारोबार बीज बोने से लेकर ग्राहकों के हाथ तक उत्पाद पहुंचाने तक किसानों के हाथ में होना चाहिए।
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