नई दिल्लीः ओडिया और अंग्रेजी में लिखने वाले प्रख्यात भारतीय लेखक मनोज दास का 27 अप्रैल 2021 मंगलवार को 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
मनोज दास का मंगलवार को पुडुचेरी के एक अस्पताल में 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए पिछले वर्ष उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। बहुत छोटी उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। नौवीं में ही उनका पहला काव्य संग्रह ‘शताब्दीर आर्त्तनाद’ प्रकाशित हुआ था। उसके बाज मनोज दास ने कहानियां लिखनी भी शुरू की। उनका पहला कहानी संग्रह समुद्रर क्षुधा, 1951 में प्रकाशित हुआ था।
राष्ट्रपति ने जाने माने ओडिया लेखक मनोज दास के निधन पर शोक व्यक्त किया
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को प्रसिद्ध लेखक और शिक्षाविद मनोज दास के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उनका निधन अंग्रेजी एवं ओडिया लेखन की दुनिया को बड़ी क्षति है । राष्ट्रपति भवन ने कोविंद के हवाले से अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ गल्प लेखन के तौर पर उनका उच्च व्यक्तित्व, उनकी सरलता, आध्यात्मिकता ने उन्हें अलग पहचान दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मनोज दास का निधन अंग्रेजी एवं ओडिया लेखन की दुनिया को बड़ी क्षति है ।’’ कोविंद ने कहा कि पद्म भूषण से सम्मानित दास को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। ‘‘उनके परिजनों एवं प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा-जानकर दुखी हूं
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को जाने माने लेखक, दार्शनिक एवं शिक्षाविद मनोज दास के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से ओडिया साहित्य के क्षेत्र में बड़ा शून्य पैदा हो गया है। उपराष्ट्रपति सचिवालय ने नायडू के हवाले से ट्वीट में कहा, ‘‘यह जानकर दुखी हूं कि जाने माने लेखक, दार्शनिक एवं शिक्षाविद मनोज दास नहीं रहे। ’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ उनके जाने से ओडिया साहित्य के क्षेत्र में बड़ा शून्य पैदा हो गया है। उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति। ’’
प्रधानमंत्री मोदी ने शोक जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रसिद्ध लेखक और शिक्षाविद मनोज दास के निधन पर शोक जताया और कहा कि अंग्रेजी और उड़िया साहित्य के लिए उन्होंने अमूल्य योगदान दिया। मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मनोज दास ने खुद को एक जानेमाने शिक्षाविद, लोकप्रिय स्तंभकार और उत्कृष्ट लेकर के रूप में स्थापित किया।
उन्होंने अंग्रेजी और उड़िया साहित्य में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने श्री अरविंदों के विचारों को आगे बढ़ाया।’’ प्रधानमंत्री ने उनके निधन पर दुख जताते हुए उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की।