एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आयोजित हुई 6 दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला
By अनुभा जैन | Updated: February 14, 2023 10:52 IST2023-02-14T10:51:21+5:302023-02-14T10:52:29+5:30
छह दिन की इस कार्यशाला में मुंबई, नासिक, पुणे, थाणे आदि शहरों से 45 अध्यापकों ने हिस्सा लिया।

एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आयोजित हुई 6 दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला
मुंबई: ‘फैकेल्टी डेवलपमेंट का अर्थ है कि हम अपने अंदरछिपी हुई रचनात्मक शक्तियों का उन्नयन करें तथा भारतीय ज्ञान परंपरा से उसको जोड़ें। भारतीय ज्ञान परंपरा सनातन है और वह व्यक्ति के सर्वांगीण विकास तथा सामूहिक विकास के लिए संकल्पित है।’ यह कहना था भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सलाहकार माननीय मुकुल कानिटकर का जिन्होने एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय मुंबई के भारतीय ज्ञान, संस्कृत एवं योग केंद्र द्वारा भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर, नई दिल्ली) एवं भारतीय शिक्षण मंडल, नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 6 दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला का उद्घाटन किया।
इस कार्यशाला में 6 दिनों तक भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता एवं भूमिका पर गहन चिंतन, मनन एवं विचार विमर्श किया गया।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर आशीष पांडे ने कहा कि हम अपने-अपने विषयों के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा सेजुड़ें और अपने ज्ञान का विस्तार करें। एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रोफेसर उज्वला चक्रदेव नेउद्घाटन के अवसर पर कहा कि देश की यह सनातन ज्ञान परंपरा भारत ही नहीं वरन विश्व तक फैली हुई है। संपूर्ण विश्व अपने आध्यात्मिक, बौद्धिक, नैतिक तथा चारित्रिक ज्ञान के लिए भारत की ओर ही मुंह उठाकर देखता है, इसलिए हमें अपनी सनातन ज्ञान परंपरा कोसमुचित रूप में समझना होगा और उसे आगे बढ़ाना होगा।
भारतीय ज्ञान केंद्र के मानद निदेशक डॉ जितेंद्र तिवारी ने इस अवसर पर सब सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा इस छह दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला का उद्देश्य बताया। यह कार्यशाला विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों के अध्यापकों के लिए 30 जनवरी से 4 फरवरी तक आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 45 अध्यापकों ने सक्रिय रुप से सहभागिता की।
6 दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में प्रतिदिन चार अलग-अलग विद्वानों के व्याख्यान हुए, जिनमें भारतीय ज्ञान परंपरा को केंद्र में रखते हुए विज्ञान, तकनीकी, रिसर्च, भारतीय सौंदर्यशास्त्र, नारी सशक्तिकरण, भारतीय संगीत,भारतीय अर्थव्यवस्था, शिक्षा, मिथक, वास्तुशास्त्र, भारतीय मनोविज्ञान, वैदिकसाहित्य, कर्म योग, आयुर्वेदिक शिक्षा, भारतीय ज्योतिष विज्ञान एवं गणित,भारतीय भाषाएं, रामायण एवं महाभारत में मूल्य तथा अन्य महत्वपूर्ण विषय शामिल हुए।
इन विद्वानों में प्रमुख थे प्रोफेसर गौरी माहुलीकर केरल से, डॉ.भारतेंदु मिश्र, श्री आशीष देसाई, एवं प्रोफ़ेसर रामराज उपाध्याय, डॉ.शशिबाला दिल्ली से, प्रो. वरदराज बापट, डॉ आशीष पांडे आईआईटी मुंबई से,प्रो. उज्वला चक्रदेव, प्रो. रूबी ओझा, डॉ. अजिंक्य नवरे, डॉ. देवश्री फाटक मुंबई से,प्रो. कुंदन सिंह, सोफिया विश्वविद्यालय कैलिफोर्निया, अमेरिका से एवं प्रो. के के पांडेय नागपुर से।
6 दिन की इस कार्यशाला में मुंबई, नासिक, पुणे, थाणे आदि शहरों से 45 अध्यापकों ने प्रतिभागिता की एवं अपनी सक्रिय सहभागिता से कार्यशाला को न सिर्फ जीवंत बनाए रखा, बल्कि अपने प्रश्नों एवं विमर्श से सार्थक चर्चा भी की।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की प्र-कुलगुरु प्रो. रूबी ओझा ने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य फलीभूत हुआ है। अबअध्यापकों ने अपने-अपने विषयों से भारतीय ज्ञान परंपरा को जोड़करसोचना प्रारंभ किया है। अब इस दिशा में शोध की बहुत सी धाराएं खुल रही हैं,जिन पर कार्य करने की आवश्यकता है। समापन सत्र के मुख्य अतिथि आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर डॉ आशीष पांडे ने सभी प्रतिभागियों के साथ मिलकर शोध से संबंधित नए विचार प्रस्तुत किए तथा सबका मार्गदर्शन किया।
भारतीय ज्ञान केंद्र की संयोजिका डॉ. वत्सला शुक्ला ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत की और ऐसे महत्वपूर्ण विषयों की बात की जिन पर गहन चर्चाहुई। इस सत्र की विशिष्ट अतिथि एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की अधिष्ठाता मानविकी संकाय प्रोफ़ेसर मेधा तापीआवाला ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा केविषय में यह शुरुआत हुई है, अब हमें इस परंपरा को अपने-अपने क्षेत्रों में अध्यापन के केंद्र में लाना होगा, जिससे हम इस दिशा में सार्थक उपलब्धि प्राप्त करसकें।
इस कार्यशाला के संयोजक डॉ. रवींद्र कात्यायन थे। उन्होंने कहा कि यहकार्यशाला भारतीय ज्ञान परंपरा की दिशा को समझने में एक मील का पत्थर है, और इसकी प्रासंगिकता अब और बढ़ जाती है क्योंकि पश्चिम ज्ञान की प्राप्ति के लिए हमारी तरफ देख रहा है। अब हमें यहां नहीं रुकना है, आगे बढ़ते जाना है।