लाइव न्यूज़ :

फैक्टरी अग्निकांड: डर था मजदूरी जाने का पर चली गई जिंदगी

By भाषा | Updated: July 14, 2019 05:39 IST

पूर्वी दिल्ली के एक कारखाने में आग लगने की घटना में जान गंवाने वाली संगीता देवी दरअसल अस्वस्थ होने के कारण शनिवार को काम पर नहीं जाना चाहती थी, लेकिन दो दिन की मजदूरी जाने के डर से वह बेमन से काम पर चली गई थी।

Open in App

नयी दिल्ली, 13 जुलाई: पूर्वी दिल्ली के एक कारखाने में आग लगने की घटना में जान गंवाने वाली संगीता देवी दरअसल अस्वस्थ होने के कारण शनिवार को काम पर नहीं जाना चाहती थी, लेकिन दो दिन की मजदूरी जाने के डर से वह बेमन से काम पर चली गई थी। उनके बेटे ने यह बात बताई। गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी के झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र में दो मंजिला कारखाने में भीषण आग लगने से दो महिलाओं और एक किशोर की मौत हो गई जिनमें संगीता देवी (46) भी शामिल हैं।

देवी के 14 वर्षीय बेटे सनी कुमार ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें काम पर नहीं जाने के लिए मना लिया था लेकिन मां ने कहा कि अगर वह शनिवार को काम छोड़ देती है तो कारखाने के नियमों के अनुसार दो दिन (शनिवार और रविवार) का वेतन काट लिया जाएगा।’’ बिहार के पटना की मूल निवासी देवी कृष्णा नगर में रहती थी। वह शाहदरा में उस हार्डवेयर फैक्टरी में उत्पादों की पैकिंग का काम करती थी और 10 साल पहले दिल्ली चली आई थी। परिवार के सदस्यों के अनुसार वह पिछले नौ वर्षों से कारखाने में काम कर रही थी और प्रति माह 10,000 रुपये कमाती थी। शनिवार को, वह बुखार और सर्दी-जुकाम से पीड़ित थी। उसके बेटे ने कहा, ‘‘अगर मेरी मां आज घर पर रहती तो वह जिंदा होती।’’

देवी के परिवार में उसका पति और तीन बच्चें हैं जो अपने रिश्तेदारों के साथ बिहार में रहते हैं। उसका पति यहां मंडोली में एक निकल कारखाने में काम करता है। देवी के पड़ोसी आनंद कुमार (35) ने कहा, ‘‘वह बिहार में अपने बच्चों को पैसे भेजती थी। पैसे बचाने के लिए वह अपने घर से लगभग छह-सात किलोमीटर दूर फैक्टरी तक पैदल ही चली जाती थी।’’

जीटीबी अस्पताल में अपनी मां मंजू देवी के शव का इंतजार करते 17 वर्षीय सूरज ने कहा कि दो-तीन महीने पहले मेरे पिता को यहां से छुट्टी दी गई थी और आज मैं अपनी मां के शव के लिए इसी अस्पताल में आया हूं। मंजू (50) पिछले 15 सालों से फैक्टरी में काम कर रही थी। अपने बेटे के शव के लिए अस्पताल की भीड़ में इंतजार कर रही फातिमा बेगम शोक में डूबी हुई थी। फैक्टरी की आग में उसने शोएब (19) को खो दिया।

उसने कहा, ‘‘पिछले महीने, मैंने अपने बेटे को एक नया फोन उपहार में दिया था और किश्तों में इसके लिए भुगतान कर रही थी। वह पिछले कई महीनों से मुझसे यह मांग रहा था।’’ सीलमपुर के ब्रह्मपुर इलाके के रहने वाले शोएब ने पिछले साल फैक्टरी में नौकरी शुरू की थी। उसका काम उस कारखाने में बिल तैयार करना था। फैक्टरी को नईम, वसीम, शानू और अदनान नामक चार भाई चलाते थे।

टॅग्स :दिल्लीअग्नि दुर्घटना
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारतHardoi Fire: हरदोई में फैक्ट्री में भीषण आग, दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

क्राइम अलर्टDelhi: जाफराबाद में सड़क पर झड़प, गोलीबारी के बाद 3 गिरफ्तार

भारतIndiGo Flights Cancelled: इंडिगो ने दिल्ली से सभी फ्लाइट्स आज रात तक की बंद, यात्रियों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत