सीबीएसई की परीक्षा के प्रश्नपत्र में गुजरात दंगों पर पूछे गये सवाल पर विशेषज्ञों की मिश्रित राय

By भाषा | Updated: December 2, 2021 22:29 IST2021-12-02T22:29:50+5:302021-12-02T22:29:50+5:30

Experts have mixed opinion on the question asked on Gujarat riots in CBSE exam paper | सीबीएसई की परीक्षा के प्रश्नपत्र में गुजरात दंगों पर पूछे गये सवाल पर विशेषज्ञों की मिश्रित राय

सीबीएसई की परीक्षा के प्रश्नपत्र में गुजरात दंगों पर पूछे गये सवाल पर विशेषज्ञों की मिश्रित राय

नयी दिल्ली, दो दिसंबर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की कक्षा 12वीं की परीक्षा में गुजरात दंगों पर सवाल के संबंध में विशेषज्ञों ने मिलीजुली राय व्यक्त की है। बोर्ड ने इस सवाल को एक त्रुटि करार दिया है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आह्वान किया है।

पूर्व में प्रश्नपत्र बनाने में शामिल रहे एक स्कूल शिक्षक ने कहा, ‘‘यदि एक ही विषय को पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा सकता है, तो उससे एक प्रश्न क्यों नहीं पूछा जा सकता है। प्रश्न पाठ्यक्रम से था।’’

रामजस कॉलेज में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर तनवीर एजाज ने कहा, ‘‘यदि पाठ्यपुस्तक में स्पष्ट रूप से कहा गया है, तो कोलाहल किस बारे में है? यदि छात्रों को इसके बारे में पढ़ाया जा रहा है, तो प्रश्नपत्र बनाने वाले को प्रश्न पूछने का अधिकार है। शिक्षा तथ्यों पर आधारित है।’’

बुधवार को आयोजित सीबीएसई कक्षा 12वीं के समाजशास्त्र के पेपर में छात्रों से उस पार्टी का नाम बताने के लिए कहा गया जिसके कार्यकाल में ‘‘2002 में गुजरात में मुस्लिम विरोधी हिंसा’’ हुई थी। इस सवाल को बोर्ड ने बाद में ‘‘अनुचित’’ और उसके दिशानिर्देशों के खिलाफ बताया था।

सीबीएसई ने भी कहा कि ‘‘जिम्मेदार व्यक्तियों’’ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के दो डिब्बे जलाने के बाद राज्य में दंगे भड़क उठे थे, जिसमें 59 हिंदू ‘कारसेवक’ मारे गए थे। दंगों में एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे।

ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र, जेएनयू के प्रोफेसर उमेश अशोक कदम ने कहा, ‘‘एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा करने की आवश्यकता है। यह सही समय है कि इस काम को किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों के लिए जो विचाराधीन हैं, सीबीएसई और एनसीईआरटी को संवेदनशील होने की जरूरत है।’’

कदम इतिहास की पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा के लिए एनसीईआरटी की समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।

जामिया मिलिया इस्लामिया में राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर नावेद जमाल ने कहा, ‘‘इस तरह का सवाल अच्छा नहीं है। आप दंगों पर अलग-अलग विचार रख सकते हैं। आपको वास्तव में समग्र रूप से समझना होगा। दंगों पर सवाल पूछने से राजनीति होगी। जब हम दंगों की ऐतिहासिकता के बारे में बात करते हैं, तो हमें यह समझना होगा कि वे अच्छे ढंग में नहीं हैं और राष्ट्रीय एकता तथा राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के खिलाफ हैं।

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