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आबकारी नीति: अदालत ने सरकार की ई-निविदा को चुनौति देने वाली याचिका दूसरी पीठ को भेजी

By भाषा | Updated: July 19, 2021 16:43 IST

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नयी दिल्ली, 19 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय की एक पीठ ने सोमवार को दिल्ली सरकार के ई-निविदा नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

अदालत ने मामले को मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ को भेज दिया। इससे पहले इस पर विवाद था कि किस पीठ को याचिका पर सुनवाई करनी चाहिए क्योंकि नई आबकारी नीति से संबंधित इसी तरह की कई याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष लंबित हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह याचिका दिल्ली सरकार द्वारा जारी निविदा को चुनौती दे रही है और चूंकि न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ के पास निविदा मामलों की सुनवाई के लिए रोस्टर है, इसलिए उन्हें इसपर सुनवाई करनी चाहिए, जबकि दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और राहुल मेहरा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह भी आबकारी नीति से संबंधित है और इस पर मुख्य न्यायाधीश की पीठ सुनवाई करेगी।

पीठ ने कहा कि यह विवाद पैदा हो रहा है और मुख्य न्यायाधीश 'मास्टर ऑफ रोस्टर' (कौन सा मामला सुनवाई के लिए किस पीठ को देना है) होने के नाते यह तय करेंगे कि किस पीठ को याचिका पर सुनवाई करनी है।

पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले की सुनवाई में उसकी कोई विशेष रुचि नहीं है। पीठ दिल्ली में शराब बेचने वाले खुदरा विक्रेताओं की ओर से रॉबिन चौधरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ई-निविदा के नियम और शर्तों को चुनौती दी गई है।

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर और संदीप सेठी ने कहा कि निविदा की शर्तें अनुचित हैं और उन्होंने कहा कि वे नई आबकारी नीति को चुनौती नहीं दे रहे हैं।

इस बीच, पीठ ने नई आबकारी नीति को चुनौती देने से संबंधित ‘दिल्ली कंज्यूमर कोओपरेटिव होलसेल स्टोर कर्मचारी संघ’ द्वारा दायर एक अन्य याचिका को भी मंगलवार के लिए मुख्य न्यायाधीश की पीठ को स्थानांतरित कर दिया।

दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह नीति अवैध, अनुचित, मनमानी और दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 का उल्लंघन करती है।

उन्होंने दिल्ली सरकार के 28 जून के ई-निविदा नोटिस को भी रद्द करने का आग्रह किया है, जिसमें भारतीय और विदेशी शराब ब्रांडों की आपूर्ति के लिए शराब के खुदरा विक्रेताओं को 32 जोनल लाइसेंस देने के लिए क्षेत्रवार इलेक्ट्रॉनिक बोलियां आमंत्रित करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित की गई है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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