राजस्थानः हर छठा राजस्थानी रोजगार की तलाश में, भाई साहब के रोजगार मॉडल से मिलेगी बेरोजगारी से मुक्ति?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 16, 2019 05:41 AM2019-01-16T05:41:22+5:302019-01-16T05:41:22+5:30
सीएमआईई की रिपोर्ट के हवाले से खबर है कि राजस्थान में इस समय बेरोजगारी दर 15 प्रतिशत है जो 2016 में 6.8 प्रतिशत थी. भाई साहब पं लक्ष्मीनारायण द्विवेदी न तो रोजगार देने वाले सक्षम अधिकारी थे और न ही बड़े उद्योगपति, लेकिन अपनी समर्पित सेवाओं की बदौलत वे वागड़ में रोजगार क्रांति के दूत बने.
पूरे देश की तरह राजस्थान में भी बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है, लेकिन न तो किसी सरकार के पास इसका कोई समाधान है और न ही विपक्ष के पास कोई ठोस योजना है. बेरोजगारों को राहत के लिए राजस्थान सरकार शिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की तैयारी जरूर कर रही है, लेकिन यह कोई स्थाई समाधान नहीं है.
इधर, केन्द्र सरकार ने दस प्रतिशत सवर्ण आरक्षण का भी एलान किया है, लेकिन बगैर पदों के इस आरक्षण का भी कोई विशेष लाभ नहीं होगा. राजस्थान में बेरोजगारी का अंदाज इसी आधार पर लगाया जा सकता है कि बेरोजगारी के मामले में राजस्थान देश में चौथे नंबर पर आ गया है, मतलब- हर छठा राजस्थानी उपयुक्त रोजगार की तलाश में है.
सीएमआईई की रिपोर्ट के हवाले से खबर है कि राजस्थान में इस समय बेरोजगारी दर 15 प्रतिशत है जो 2016 में 6.8 प्रतिशत थी. भाई साहब पं लक्ष्मीनारायण द्विवेदी न तो रोजगार देने वाले सक्षम अधिकारी थे और न ही बड़े उद्योगपति, लेकिन अपनी समर्पित सेवाओं की बदौलत वे वागड़ में रोजगार क्रांति के दूत बने.
राजस्थान ब्राह्मण महासभा के बांसवाड़ा अध्यक्ष चन्दूलाल उपाध्याय का कहना है कि भाई साहब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन बगैर किसी स्वार्थ के समाज के सभी वर्गों के बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त करने में प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग एवं मार्गदर्शन प्रदान करके उन्होंने लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह बनाई है.
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी सयुक्त महासंघ व राजस्थान राज्य कर्मचारी संध के प्रदेश अध्यक्ष रहे भाई साहब ने न केवल बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त करने में सहयोग प्रदान किया बल्कि बेहतर रोजगार के लिए प्रमोशन, स्थानान्तरण आदि के लिए भी उन्होंने लोगों को पूरा सहयोग प्रदान किया.
इस वक्त देश में बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है, लेकिन यदि भाई साहब के रोजगार माॅडल पर कार्य किया जाए तो बेरोजगारी की समस्या लगभग समाप्त हो सकती है.
एक्कीसवीं सदी में जीवन 24 घंटे का हो गया है, परन्तु सरकारी सेवाएं दस से पांच के बीच और सप्ताह में पांच दिन पर ही अटकी हुई हैं. विभिन्न सरकारी सेवाओं को 24 घंटों के लिए तीन शिफ्ट में कर दिया जाए तो जहां बेरोजगारों को रोजगार मिल जाएगा, वहीं जनता को भी बहुत राहत मिलेगी. यदि तीन शिफ्ट में तत्काल संभव नहीं हो तो पहले चरण में दिन-रात की दो शिफ्ट में इन सेवाओं में दिन की सेवाएं निशुल्क तथा रात्रि सेवाएं सशुल्क होने पर सरकार पर आर्थिक भार भी नहीं बढ़ेगा.
भाई साहब का मानना था कि विभिन्न सेवाओं का समय बढ़ाना समय की आवश्यकता है और भविष्य में रोजगार वृद्धि के लिये भी यह जरूरी होगा. राजस्थान ब्राह्मण महासभा के जिला महामंत्री महेश पण्डया का कहना है कि भाई साहब के रोजगार मॉडल की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जो सक्षम मंत्रियों, अधिकारियों को प्रेषित की जाएगी ताकि उसको लागू करके बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिलने की परेशानी से मुक्ति मिल सके.