'लताड़ के बाद भी उन्हें फर्क नहीं पड़ता..,' सीएम मोहन यादव ने राहुल गांधी को लिया आड़े हाथ, कहा- "हरकतों से बाज आए कांग्रेस"
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 16, 2025 08:41 IST2025-08-16T08:39:09+5:302025-08-16T08:41:02+5:30
Mohan Yadav Vs Rahul Gandhi: ये तो ध्रुव सत्य है कि 14 अगस्त 1947 को देश का बंटवारा हुआ। और, यह भी बात सही है कि देश के बंटवारे के समय सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस थी।

'लताड़ के बाद भी उन्हें फर्क नहीं पड़ता..,' सीएम मोहन यादव ने राहुल गांधी को लिया आड़े हाथ, कहा- "हरकतों से बाज आए कांग्रेस"
Mohan Yadav Vs Rahul Gandhi: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 15 अगस्त को राजधानी भोपाल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर बरसे। उन्होंने राहुल गांधी को मोटी चमड़ा का बताया। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि कोर्ट से बार-बार लताड़ लगने के बाद भी राहुल गांधी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नहीं चाहती कि भारत के विभाजन और उसके जिम्मेदारों पर बात की जाए।
जनता सब देख रही है। अपनी हरकतों की वजह से ही कांग्रेस हाशिए पर चली गई है। सीएम डॉ. यादव ने यह बात रवींद्र भवन में आयोजित आजादी का महापर्व कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय अलंकरण समारोह में कही।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज कैसा समय आ गया है। चुनाव में भैया खुद हार गए, उनकी पार्टी हार गई। अब वे चुनाव आयोग पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। वे भूल जाते हैं कि अगर दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अगर जीवित है, तो चुनाव आयोग की वजह से जीवित है।
हमें इस बात का गर्व है। चुनाव आयोग हमेशा अपनी परीक्षाओं पर खरा उतरता आ रहा है। राहुल गांधी चुनाव आयोग ही नहीं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट पर भी आरोप लगाते हैं। उन्हें कितनी बार कोर्ट लताड़ लगा चुका है। लेकिन, वो इतनी मोटी चमड़ी के हैं कि उन्हें फर्क ही नहीं पड़ता। जब उन्होंने चौकीदार शब्द के बार में कुछ कहा था तो सुप्रीम कोर्ट ने दंडित किया था।
बंटवारे के जिम्मादर बच नहीं सकते
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि अब तो कांग्रेस ने हद ही कर दी। कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट चली गई कि विभाजन की विभीषिका पर बात नहीं करना चाहिए। ये कोई बात हुई क्या। ये तो ध्रुव सत्य है कि 14 अगस्त 1947 को देश का बंटवारा हुआ। और, यह भी बात सही है कि देश के बंटवारे के समय सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस थी। इसलिए जब भी देश के बंटवारे की बात आएगी तो तत्कालीन सत्ताधीश की भी बात होगी।
दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ता है कि जब भी बात करो तो कांग्रेस बचकर दाएं-बाएं निकल जाती है। लेकिन, अब सारी जनता देख रही है। यही कारण है कि एक तरफ ये रो रहे हैं, तो दूसरी तरफ 56 इंच वाले की पार्टी सुशासन के लिए जो बन सकता है वो कर रही है।