दंगों के एक साल बाद भी पीड़ितों को मुआवजे के नाम पर मिले चंद हजार रुपये

By भाषा | Updated: February 25, 2021 16:15 IST2021-02-25T16:15:27+5:302021-02-25T16:15:27+5:30

Even a year after the riots, the victims received a few thousand rupees in the name of compensation | दंगों के एक साल बाद भी पीड़ितों को मुआवजे के नाम पर मिले चंद हजार रुपये

दंगों के एक साल बाद भी पीड़ितों को मुआवजे के नाम पर मिले चंद हजार रुपये

(अहमद नोमान)

नयी दिल्ली, 25 फरवरी दिल्ली में पिछले साल हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद सरकार ने दंगों का दंश झेलने वाले लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए मुआवजे का ऐलान तो किया था लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद दंगा पीड़ितों को मुआवजे के नाम पर चंद हजार रुपये ही दिए गए हैं।

फरवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हुए दंगों के दौरान काफी लोगों के घर और दुकानें बर्बाद हो गईं थी।

उस वक्त दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया था कि दंगों में जिनके घरों को पूरी तरह से जला दिया गया है, उन्हें पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा जबकि जिनके घर क्षतिग्रस्त हुए हैं उन्हें ढाई लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।

इसके बाद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मार्च में कहा था कि घर की हर मंजिल को एक आवासीय इकाई माना जाएगा और पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। व्यावसायिक संपत्ति के मामले में अधिकतम पांच लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की गई थी।

लेकिन साल भर बीत जाने के बावजूद दंगा पीड़ित मुआवाजे के लिए एसडीएम के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

मौजपुर चौक के पास नहर बाजार में स्थित करीब सात दुकानें, 24 फरवरी को सबसे पहले आग के हवाले की गईं थी। इनमें शहज़ाद की पुराने कपड़ों की दुकान भी शामिल थी।

शहजाद ने पीटीआई-भाषा को बताया, “23 फरवरी को दोनों ओर से पथराव होने के बाद हम दुकान बंद करके चले गए थे। अगले दिन 24 फरवरी को भी माहौल तनावपूर्ण था तो हम सुबह में ही दुकान बंद करके वापस चले गए। ' '

उन्होंने बताया, ' 'हमें मालूम चला कि दंगाइयों ने दुकान को आग लगा दी जिससे दो मंजिला ढांचा पूरी तरह से बर्बाद हो गया। सरकार से मदद के नाम पर हमें सिर्फ 18,250 रुपये ही मिले हैं। ' '

उन्होंने कहा कि दुकान में रखा लाखों रूपये का माल तो खाक हुआ ही दुकान भी फिर से बनानी पड़ी।

शहज़ाद ने बताया, ''हमने रिश्तेदारों से कर्ज लेकर दुकान दोबारा बनवाई है जिसमें साढ़े पांच लाख रुपये का खर्च आया। हमने यह सोचकर कर्ज लिया कि सरकार मुआवजा देगी तो रिश्तेदारों को पैसा वापस कर देंगे। लेकिन एसडीएम साहब कहते हैं कि आपका मुआवजा जितना मंजूर हुआ था, उतना मिल गया है, कुछ होगा तो पता चल जाएगा। ' '

शहज़ाद के पड़ोस में फॉर्म की दुकान चलाने वाले रोशन लाल ने बताया कि आगज़नी में उनकी दुकान और पहली मंजिल पूरी तरह से नष्ट हो गई थी। सरकार से मुआवजे के नाम पर उन्हें 32,700 रुपये मिले हैं जबकि दुकान दोबारा बनाने में उनके 12 लाख रुपये खर्च हुए हैं।

उन्होंने बताया, “कुछ पैसा रिश्तेदारों से तो कुछ पैसा ब्याज पर लिया है। लॉकडाउन की वजह से वैसे ही कारोबार बहुत मंदा है। कर्ज लिया गया पैसा भी चुकाना है और परिवार भी चलाना है। बहुत मुश्किल होता जा रहा है। ' '

यही कहानी नहर बाजार के बाकी दुकानदारों की भी है जिनकी दुकानें जलाई गई थीं।

हालांकि दिल्ली सरकार ने सोमवार को सार्वजनिक रूप से आंकड़ों को साझा करते हुए यह दावा किया कि उसने 2,221 दंगा पीड़ितों को 26 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है।

शिव विहार निवासी मो. राशिद ने बताया कि दंगाइयों ने उनका चार मंजिला घर जला दिया था जिसमें से तीन मंजिलें पूरी तरह से तबाह हो गईं थी।

उन्होंने बताया, ' ' सरकार से सिर्फ ढाई लाख रुपये मिले हैं, जबकि घर की मरम्मत में ही अब तक पांच-छह लाख रुपये खर्च हो चुके हैं।' '

शिव विहार में ही रहने वाले राम सेवक ने बताते हैं कि सब जगह आवेदन दे चुकने के बावजूद उन्हें कुछ नहीं मिला है। दंगों में उनके घर को भी नुकसान हुआ था जिसकी मरम्मत उन्होंने खुद ही कराई है।

खाद्य तेल का काम करने वाले बृजपुरी निवासी चेतन कौशिक को दंगों में करीब दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। उनकी दुकान और घर को जला दिया गया था।

कौशिक ने कहा कि मुआवजे के ऐलान के बाद थोड़ी उम्मीद जगी थी लेकिन सरकार से सिर्फ साढ़े सात लाख रुपये मिले हैं जो नुकसान को देखते हुए काफी कम हैं।

उत्तर पूर्वी दिल्ली में पिछले साल 23 फरवरी की शाम को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थकों और विरोधियों के बीच मौजपुर इलाके में हुई झड़प के बाद तकरीबन पूरे जिले में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी। 26 फरवरी तक चली हिंसा में एक पुलिस कर्मी समेत 53 लोगों की मौत हुई और करीब 500 लोग जख्मी हुए। सैकड़ों घरों, दुकानों और गाड़ियों में भी आग लगा दी गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Even a year after the riots, the victims received a few thousand rupees in the name of compensation

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे