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पेड़ों का मूल्यांकन : उच्चतम न्यायालय ने समिति को चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी

By भाषा | Updated: December 8, 2021 18:40 IST

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नयी दिल्ली, आठ दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने विकास परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई के संबंध में निर्णय लेने और ऐसे पेड़ों के मूल्यांकन के वास्ते वैज्ञानिक और नीतिगत दिशा-निर्देश बनाने के संबंध में उसके द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति को चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का बुधवार को निर्देश दिया।

उच्चतम न्यायालय ने इस आशय का आदेश मथुरा में एक सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए 1,803 पेड़ों की कटाई की अनुमति देते हुए पारित किया, जो ‘ताज ट्रेपेजियम जोन’ (टीटीजेड) के अंतर्गत आता है। टीटीजेड उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों और राजस्थान के भरतपुर जिले में फैले लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है।

शीर्ष अदालत विश्व प्रसिद्ध धरोहर ताजमहल और उसके आसपास के ऐतिहासिक स्मारकों के पर्यावरण और संरक्षण से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही है।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ को सूचित किया गया कि उच्चतम न्यायालय ने इस साल मार्च में एक अन्य मामले में पेड़ों के मूल्य की गणना के तंत्र सहित विभिन्न पहलुओं पर सिफारिशें करने के लिए एक समिति का गठन किया था और रिपोर्ट का इंतजार है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि समिति को रिपोर्ट के संबंध में तेजी से काम करने के लिए कहा जा सकता है।

इसका संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा, ‘‘समिति चार सप्ताह की अवधि के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।’’

इस बीच, पीठ ने मथुरा में सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति देते हुए कहा कि पेड़ों के मूल्य का भुगतान समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद निर्धारित किया जाएगा जो शीर्ष अदालत की अंतिम स्वीकृति के अधीन होगा।

उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि सीईसी ने सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई के लिए मांगी गई अनुमति के संबंध में एक रिपोर्ट दायर की है और उसने कुछ शर्तों के अधीन प्रस्ताव को स्वीकार करने की सिफारिश की है।

मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को पीठ ने कहा कि इस मामले में अदालत की सहायता कर रहे न्याय मित्र ने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील के परामर्श से एक नोट दायर किया है।

पीठ ने मामले को जनवरी में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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