नयी दिल्ली, 12 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई कर्मचारी किसी स्थान विशेष पर तबादला करने के लिए जोर नहीं दे सकता और नियोक्ता अपनी जरूरतों के हिसाब से कर्मचारियों का स्थानांतरण करने का अधिकार रखता है।
शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2017 के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक व्याख्याता की याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही।
उच्च न्यायालय ने अमरोहा से गौतमबुद्ध नगर स्थानांतरित किये जाने के लिए संबंधित प्राधिकार द्वारा उनके अनुरोध को खारिज किये जाने के खिलाफ अर्जी को रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने छह सितंबर के अपने आदेश में यह बात कही। अमरोहा जिले में पदस्थ महिला अध्यापिका ने उच्च न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में कहा था कि उन्होंने गौतमबुद्ध नगर के एक कॉलेज में तबादला करने का अनुरोध किया है और प्राधिकार ने सितंबर 2017 में इसे खारिज कर दिया था।
महिला के वकील ने 2017 में उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि वह पिछले चार साल से अमरोहा में काम कर रही हैं और सरकार की नीति के अनुसार उन्हें स्थानांतरण का अधिकार है।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि संबंधित प्राधिकार द्वारा पारित आदेश से पता चलता है कि अध्यापिका गौतमबुद्ध नगर के एक कॉलेज में दिसंबर 2000 में अपनी प्रारंभिक नियुक्ति से लेकर अगस्त 2013 तक वहां 13 वर्ष सेवा में रहीं, इसलिए उसी कॉलेज में फिर भेजने का उनका अनुरोध उचित नहीं है।
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