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कोरोना संक्रमण रोकने के लिए ग्रामीण इलाकों में घर घर सर्वे पर जोर: शर्मा

By भाषा | Updated: May 27, 2021 16:27 IST

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जयपुर, 27 मई राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा कि संक्रमित की पहचान कर कोरोना संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए जांच पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। चिकित्सा विभाग इसके लिए टीमें बनाकर गांवों में व्यापक स्तर पर घर घर सर्वे करवाया जा रहा है।

मंत्री ने बताया कि सर्वे में जिन मरीजों में आईएलआई (खांसी, जुकाम, बुखार) के लक्षण आते हैं उनका एंटीजन टेस्ट करवाया जा रहा है जिसकी रिपोर्ट 20 से 30 मिनट में ही आ जाती है। उन्होंने कहा कि मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन सबका आरटीपीसीआर टेस्ट भी करवाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा औसतन 80 हजार टेस्ट प्रतिदिन किए जा रहे हैं। सरकार की मंशा ज्यादा से ज्यादा कोरोना टेस्ट कर संक्रमण को नियंत्रित करने की है।

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि सरकार ने कभी भी कोरोना सहित सभी अन्य बीमारियों से मृत्यु के आंकड़े नहीं छिपाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर हाल ही में तीन दल का गठन किया गया है और यह दल गांव-गांव जाकर कोरोना व अन्य बीमारियों से हुई मौतों की डेथ ऑडिट करेगी।

शर्मा ने कहा कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने तैयारिया प्रारंभ कर दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के सभी शिशु चिकित्सालयों व अन्य यूनिटों में आईसीयू बैड्स की संख्या बढ़ाई जा रही है। साथ ही वहां ऑक्सीजन जेनरेशन के प्लांट व सेंट्रलाइज आक्सीजन सिस्टम का कार्य किया जा रहा है।

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि वर्तमान में राज्य में टीकों के अभाव में टीकाकरण नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने जून माह में राजस्थान को 12 लाख 66 हजार खुराक का कोटा आवंटित किया है जबकि राज्य को 18 से 44 आयुवर्ग के टीकाकरण के लिये करीब 7 करोड़ खुराक की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि जबकि प्रदेश की ओर से वैक्सीन आपूर्ति कंपनियों को करीब 59 करोड़ रुपए डोज के लिए दिए जा चुके हैं लेकिन इन कंपनियों से बहुत कम मात्रा में आपूर्ति हो रही है।

उन्होंने कहा कि टीकों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की ओर से ग्लोबल टेंडर जारी किए गए जिसमें 9 कंपनियों ने हिस्सा लिया। इस प्रक्रिया में एक भारतीय टीका निर्माता कंपनी का वेंडर भी शामिल हुआ। इसमें समस्या यह है कि केन्द्र सरकार के जरिए मिलने वाली भारतीय टीका राज्य को कम कीमत पर मिल रही है, वहीं ग्लोबल टेंडर से इसकी कीमत ज्यादा आ रही है।

उन्होंने कहा कि ऐसे किसी भी विवाद से बचने के लिए केन्द्र सरकार ग्लोबल टेंडर जारी करे और टीका निर्माता कंपनियों से संपर्क कर राज्यों को टीका उपलब्ध कराए, जिसका भुगतान प्रदेश सरकार करने को तैयार है। केंद्र सरकार के ग्लोबल टेंडर नहीं करने पर राज्य सरकार भी अन्य कई राज्यों की तरह उच्चतम न्यायालय का रूख कर सकती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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