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आज पहली बार भारत के इस गांव में आई बिजली, आजादी के 70 सालों बाद भी था अंधेरा

By भाषा | Updated: November 25, 2018 22:04 IST

हिमालय की त्रिसूली और नन्दा घुंघटी की तलहटी में बसे देवाल ब्लाक के सीमान्त गांव घेस में जड़ी बूटियों के संरक्षण, संवर्धन एवं विपणन के लिए कुटकी जड़ी बूटी महोत्सव का आयोजन भी किया गया।

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आजादी के 70 साल बाद आज उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सीमांत गांव घेस में बिजली पहुंची जिसकी औपचारिक शुरुआत मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बिजली का स्विच ऑन कर की ।

यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, घेस में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रावत ने चमोली जिलाधिकारी को घेस, हिमनी व बलाण गांवों के नियोजित विकास व स्थानीय लोगों की आय बढ़ाने के लिए योजनाओं की डीपीआर बनाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री के आग्रह पर वहां मौजूद केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक ने घेस क्षेत्र में राष्ट्रीय जड़ी बूटी संस्थान खोले जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति की घोषणा की। उन्होंने घेस को आयुष ग्राम बनाने में उनके मंत्रालय की ओर से हरसम्भव सहयोग दिए जाने की बात भी कही।

हिमालय की त्रिसूली और नन्दा घुंघटी की तलहटी में बसे देवाल ब्लाक के सीमान्त गांव घेस में जड़ी बूटियों के संरक्षण, संवर्धन एवं विपणन के लिए कुटकी जड़ी बूटी महोत्सव का आयोजन भी किया गया।

उत्तराखण्ड राज्य निर्माण का मुख्य उद्देश्य दूरस्थ गांवों के विकास को बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 13 माह में वह दूसरी बार घेस आए हैं जिससे सरकार की मंशा स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि चमोली जिले का घेस व पिथौरागढ़ के पिपली जैसे गांवों में विकास पहुंचाकर वहां के लोगों की आजीविका मजबूत करना, सरकार की प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि घेस में मटर की खेती को प्रोत्साहित किया गया था जिससे मटर की लाखों रूपए की बिक्री हुई । उन्होंने कहा कि कुटकी जैसी जड़ी बूटियों से भी लोगों की आर्थिकी में सुधार किया जा सकता है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय लोगों के हित को देखते हुए जड़ी नीति बनाकर इसे वैधानिक रूप दिया गया है।

केंद्रीय आयुष मंत्री ने कुटकी महोत्सव पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जड़ी बूटियों को प्रोत्साहित करने के लिए उनका मंत्रालय हरसम्भव सहयोग देगा तथा घेस को आयुष ग्राम बनाने के लिए केंद्र हरसम्भव आर्थिक सहायता देगा ।

उन्होंने क्षेत्र में जड़ी बूटी का राष्ट्रीय संस्थान खोले जाने पर सैद्धांतिक स्वीकृति भी दी। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में जड़ी बूटी की काफी सम्भावनाएं हैं। ऐसे में यहां जड़ी बूटी के राष्ट्रीय संस्थान की मांग जायज है। उन्होंने कहा कि जब भी यहां के लोग उन्हें बुलाएंगे, वह अवश्य आएंगे और क्षेत्र के विकास के लिए हरसम्भव मदद करेंगे।

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