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एससीओ में द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने के प्रयासों की निंदा की जानी चाहिए : भारत

By भाषा | Updated: November 25, 2021 20:32 IST

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नयी दिल्ली, 25 नवंबर पाकिस्तान की परोक्ष अलोचना करते हुए भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मंच पर जानबूझकर बार बार द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने का प्रयास समूह के स्थापित सिद्धांतों का उल्लंघन है और इसकी ‘निंदा’ की जानी चाहिए।

एससीओ परिषद के शासनाध्यक्षों की बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जोर दिया कि सम्पर्क से जुड़ी किसी भी गंभीर पहल को पारदर्शी होना चाहिए और यह सम्प्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करती हो ।

विदेश मंत्री की इस टिप्पणी को चीन के ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ (बीआरआई) के अप्रत्यक्ष संदर्भ में देखा जा रहा है। भारत बीआरआई की सख्त आलोचना करता रहा है क्योंकि 50 अरब डालर की यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है।

जयशंकर ने कहा कि भारत, ईरान में चाबहार बंदरगाह को परिचालित करने के लिये कदम उठा रहा है जिससे मध्य एशियाई देशों की समुद्र तक वाणिज्यिक रूप से सुगम एवं वहनीय पहुंच संभव हो सकेगी ।

उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गालियारे (आईएनएसटीसी) के ढांचे में चाबहार पोर्ट को शामिल करने का प्रस्ताव किया है, साथ ही वह एससीओ क्षेत्र में भौतिक एवं डिजिटल सम्पर्क के निर्माण तथा इस क्षेत्र में सहयोग, निवेश की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

गौरतलब है कि आठ देशों का शंघाई सहयोग संगठन एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में उभरा है। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बनाये गए थे ।

जयशंकर ने कहा कि भारत, एससीओ को खुलेपन, पारदर्शिता, कानून के शासन, सुशासन, समानता और सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूह मानता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एससीओ में जानबूझकर बार बार द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने का प्रयास किया जाता है। यह स्थापित सिद्धांतों एवं एससीओ चार्टर का उल्लंघन है। ’’

गौरतलब है कि पाकिस्तान पिछले कुछ वर्षो से कई मौकों पर एससीओ की बैठक में कश्मीर का मुद्दा उठाता आ रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे कृत्य सहमति और सहयोग की भावना के विपरीत है जिसे संगठन में परिभाषित किया गया है और इसकी निंदा की जानी चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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