नई दिल्लीः शिक्षाविद् प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी को शुक्रवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यूपीएससी भारत के नौकरशाहों एवं राजनयिकों समेत अहम पदों पर नियुक्ति के लिए सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करता है।
जोशी अभी तक आयोग के सदस्य थे। छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के लोक सेवा आयोगों के अध्यक्ष रहे जोशी मई 2015 में यूपीएससी के सदस्य बने थे। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक जोशी को यूपीएससी के निवर्तमान अध्यक्ष अरविंद सक्सेना ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
जोशी 12 मई 2015 को आयोग के सदस्य के रूप में शामिल हुए थे। यूपीएससी की ओर से जारी बयान के अनुसार आयोग में शामिल होने से पहले वह छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग और मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष थे। बयान के अनुसार उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षण योजना एवं प्रशासन संस्थान (एनआईईपीए) के निदेशक के रूप में भी सेवाएं दीं।
बयान में कहा गया, ‘‘अपने शानदार अकादमिक करियर में प्रोफेसर जोशी ने परा स्नातक स्तर पर 28 से अधिक वर्षों तक पढ़ाया और विभिन्न नीति निर्धारण, शैक्षणिक और प्रशासनिक निकायों में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे।" यूपीएससी के अध्यक्ष के तौर पर जोशी का कार्यकाल 12 मई 2021 तक होगा।
जोशी को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद यूपीएससी में अब एक सदस्य का पद रिक्त हो गया है। वर्तमान में भीम सेन बस्सी, एयर मार्शल ए एस भोंसले (सेवानिवृत्त), सुजाता मेहता, मनोज सोनी, स्मिता नागराज, एम सत्यवती, भारत भूषण व्यास, टी सी ए आनंद और राजीव नयन चौबे यूपीएससी के अन्य सदस्य हैं। आयोग भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय विदेश सेवा समेत अहम सेवाओं के लिए तीन चरणों में वार्षिक सिविल सेवा परीक्षा आयोजित कराता है।
सफल उम्मीदवारों की एक सूची अलग से रखी गई है : यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा के नतीजों पर कहा
संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा, 2019 के जरिए चयनित 829 लोगों के अलावा उसने उम्मीदवारों की एक आरक्षित (रिजर्व) सूची भी रखी है। सरकार ने कुल 927 रिक्तियों की घोषणा की थी। आयोग ने एक बयान में यह जानकारी दी। यूपीएससी का यह बयान उन खबरों की पृष्ठभूमि में आया है कि परीक्षा के माध्यम से कम उम्मीदवारों का चयन किया गया है।
बयान में कहा गया है, ‘‘सिविल सेवा परीक्षाओं के तहत सेवाओं/पदों पर भर्ती के लिए आयोग पूरी सख्ती के साथ भारत सरकार द्वारा अधिसूचित नियमों के तहत काम करता है। यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि सिविल सेवा परीक्षा, 2019 के तहत 927 रिक्तियों के मुकाबले, आयोग ने पहली बार में 829 उम्मीदवारों का परिणाम घोषित किया है और एक आरक्षित सूची भी रखी गई है। ’’ बयान में कहा गया है कि दशकों से इसी तरह से काम किया जा रहा है। संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा के परिणामों की घोषणा मंगलवार को की थी।