शिवसेना नेता संजय राऊत का कहना है कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले राकांपा प्रमुख शरद पवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन का मामला दर्ज किया जाना पार्टी के लिए जीवनदायी साबित हुआ है।
राऊत ने शुक्रवार नई दिल्ली में एक मराठी चैनल से कहा कि ईडी के मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है और शक्तिशाली मराठा नेता पवार एक सम्मानित व्यक्ति हैं। मैं इसे (ईडी के मामले को) अगले विधानसभा चुनावों के नजरिए से देख रहा हूं। जो लोग पवार को जानते हैं और प्रदेश की राजनीति को समझते हैं, वह कहेंगे कि बिना वजह जांच एजेंसी ने इस मामले को राजनीतिक बना दिया है। उन्होंने कहा कि पवार महाराष्ट्र और देश के शीर्ष नेता हैं। उनकी अपनी एक छवि है। पवार के साथ उनकी पार्टी के राजनीतिक मतभेद हैं, लेकिन ये उनका समर्थन करने के रास्ते में आड़े नहीं आएंगे।
पवार के साथ हमारे राजनीतिक मतभेद हैं। शिवसेना के संस्थापक बालासाहब ठाकरे के वक्त से ही हम उनकी आलोचना करते रहे हैं...उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.....कभी जीतते हैं और कभी हारते हैं। वह भी हमारे खिलाफ हारे हैं।उन्होंने कहा, महाराष्ट्र की एक संस्कृति है, जब भी कुछ गलत होता है, हम सब एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं। राज ठाकरे से ईडी ने पूछताछ की थी तब उद्धव ठाकरे ने कुछ सकारात्मक बातें कही थीं।
धन शोधन के एक अन्य मामले में ईडी ने पिछले महीने मनसे प्रमुख राज ठाकरे से पूछताछ की थी। उस वक्त शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकर उनके समर्थन में बोले थे। राऊत ने कहा, यहां तक कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी कह चुके हैं कि बैंक घोटाले से पवार का कोई लेना-देना नहीं है। हजारे पवार के राजनीतिक विरोधी हैं और राकांपा प्रमुख के खिलाफ कई आंदोलन कर चुके हैं।
राऊत ने भाजपा नेता और पूर्व मंत्री एकनाथ खड़से का भी हवाला दिया। खड़से ने कहा था कि बैंक घोटाले पर विधानसभा में चर्चा हुई थी, लेकिन पवार का नाम सामने नहीं आया। उनका नाम उस शिकायत में भी नहीं है, जिसके आधार पर उच्च न्यायालय कार्रवाई कर रहा है। सिर्फ इसलिए कि उनके कुछ सहयोगी इसमें शामिल हैं, उन्हें सरगना कहा जा रहा है। यह कानून की जद में नहीं आता है। राऊत ने कहा कि इसमें न तो भाजपा और न ही सरकार की कोई भूमिका है।