राहुल गांधी का पीएम मोदी पर तंज, आरबीआई के पैसे चुराने से काम नहीं चलेगा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 27, 2019 11:12 IST2019-08-27T11:12:48+5:302019-08-27T11:12:48+5:30
देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पांच वर्ष के निचले स्तर पर पहुंच गयी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिये पिछले सप्ताह विभिन्न कदमों की घोषणा की।

राहुल गांधी का पीएम मोदी पर तंज, आरबीआई के पैसे चुराने से काम नहीं चलेगा
अर्थव्यवस्था में संकटों के खबरों के बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर तंज कसा है।
राहुल ने ट्वीट किया, पीएम और वित्त मंत्री को मालूम नहीं चल रहा है कि वे खुद से निर्मित आर्थिक आपदा से कैसे निपटे? आरबीआई के पैसे चुराने से काम नहीं चलेगा, ये बिलकुल ऐसा है कि गोली से घायल किसी को क्लिनिक से बैंडेड चुराकर लगा दिया जाए।
इससे पहले रिजर्व बैंक ने विमल जालान समिति की सिफारिशों को अमल में लाते हुये सोमवार को रिकार्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये का लाभांश और अधिशेष आरक्षित कोष सरकार को हस्तांतरित करने का फैसला किया।
PM & FM are clueless about how to solve their self created economic disaster.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 27, 2019
Stealing from RBI won’t work - it’s like stealing a Band-Aid from the dispensary & sticking it on a gunshot wound. #RBILootedhttps://t.co/P7vEzWvTY3
इससे नरेंद्र मोदी सरकार को राजकोषीय घाटा बढ़ाये बिना सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने 1,76,051 करोड़ रुपये सरकार को हस्तांतरित करने का निर्णय किया है।
इसमें 2018-19 के लिये 1,23,414 करोड़ रुपये का अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रावधान के रूप में चिन्हित किया गया है।
अतिरिक्त प्रावधान की यह राशि आरबीआई की आर्थिक पूंजी से संबंधित संशोधित नियमों (ईसीएफ) के आधार पर निकाली गयी है।
रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद यह कदम उठाया है।
समिति को यह तय करने को कहा गया था कि केंद्रीय बैंक के पास कितनी आरक्षित राशि होनी चाहिए। सरकार की तरफ से वित्त सचिव राजीव कुमार इस समिति में शामिल थे। समिति ने 14 अगस्त को अपनी रपट को अंतिम रूप दिया था।
आरबीआई से प्राप्त राशि से सरकार को अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के प्रयासों में मदद मिलेगी।
सरकार की कोशिश राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत पर सीमित रखने की है। इससे पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल और सरकार के बीच आरबीआई में अधिशेष राशि की सीमा तय करने को लेकर गतिरोध की स्थिति बन गयी थी।
परिणामस्वरूप आरबीआई ने नवंबर, 2018 की अहम बोर्ड बैठक में रिजर्व बैंक की ईसीएफ की समीक्षा के लिए एक समिति के गठन का निर्णय किया था।
हालांकि, समिति के गठन से पहले ही पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। रिजर्व बैंक 2013- 14 से ही अपनी खर्च योग्य आय में से 99 प्रतिशत राशि सरकार को देता आया है।
सरकार को राजकोषीय घाटे को अंकुश में रखने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।