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पूर्वी लद्दाख गतिरोध: भारत और चीन ने 13वें दौर की सैन्य वार्ता की

By भाषा | Updated: October 10, 2021 21:38 IST

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नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर भारत ने रविवार को चीन के साथ 13वें चरण की सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख में टकराव के बाकी बिंदुओं से सैनिकों की जल्द वापसी पर जोर दिया। वार्ता करीब साढ़े आठ घंटे तक चली। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

समझा जाता है कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता में मुख्य रूप से पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 (पीपी-15) से सैनिकों की वापसी की रुकी हुई प्रक्रिया को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

पूर्वी लद्दाख में चूशुल-मोल्दो सीमा क्षेत्र में चीन की तरफ हुई बातचीत के बारे में कोई आधिकारिक वक्तव्य नहीं आया है।

वार्ता सुबह करीब 10:30 बजे शुरू हुई और शाम सात बजे तक चली। पिछले दौर की वार्ता इससे करीब दो महीने पहले हुई थी, जिसके बाद गोगरा (पैट्रोल प्वाइंट-17ए) से सैनिकों की वापसी हुई थी।

भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि देप्सांग समेत टकराव के सभी बिंदुओं पर लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के बीच संबंधों के समग्र सुधार के लिए जरूरी है।

समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता के 13वें चरण में देप्सांग में तनाव कम करने पर जोर देते हुए अपना रुख पुरजोर तरीके से रखा है।

चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की कोशिश की दो हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की वार्ता हुई। पहला मामला उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में सामने आया था।

करीब दस दिन पहले अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांगत्से के पास भारतीय और चीनी सैनिकों का कुछ देर के लिए आमना-सामना हुआ था। हालांकि, स्थापित प्रक्रिया के अनुसार दोनों पक्षों के कमांडरों के बीच वार्ता के बाद कुछ घंटे में मामले को सुलझा लिया गया।

चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के करीब 100 जवान 30 अगस्त को उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार कर आये थे और कुछ घंटे बिताने के बाद लौट गये थे।

इससे पहले, भारत और चीन के बीच 31 जुलाई को 12वें दौर की वार्ता हुई थी। कुछ दिन बाद, दोनों देशों की सेनाओं ने गोगरा से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी और इसे क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की बहाली की दिशा में एक बड़ा एवं उल्लेखनीय कदम माना गया था।

रविवार की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने की, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं।

सेना प्रमुख एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन की ओर से सैन्य जमावड़ा और व्यापक पैमाने पर तैनाती अगर जारी रहती है तो भारतीय सेना भी अपनी तरफ अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी, जो ‘‘पीएलए के समान ही है।’’

दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर गतिरोध पिछले साल पांच मई को शुरू हुआ था। तब पैंगोंग झील के इलाकों में दोनों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।

सैन्य और राजनयिक वार्ता की श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने अगस्त में गोगरा क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की।

फरवरी में दोनों पक्षों ने सहमति के अनुरूप पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों तथा हथियारों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी।

एलएसी पर संवेदनशील क्षेत्र में इस समय प्रत्येक पक्ष के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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