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एमआईएस-सी की जल्द पहचान से बच्चों में बीमारी को गंभीर होने से बचा सकते हैं : विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: June 7, 2021 16:33 IST

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(उज्मी अतहर)

नयी दिल्ली, सात जून स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस से संबद्ध बीमारी मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम का जल्दी पता लगाकर उपचार देने से बच्चों में रोग की गंभीरता को महत्वपूर्ण रूप से कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों की माता-पिता और बच्चों की देखभाल करने वालों को सलाह है कि वे बच्चों में बुखार को हल्के में न लें।

विशेषत्रों का कहना है कि बिना लक्षण वाले या कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले बच्चों में भी यह बीमारी हुई है।

बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) एक गंभीर बीमारी है जो कोरोना वायरस से संक्रमित होने के आम तौर पर दो से चार हफ्तों बाद नजर आती है। यह बीमारी दो महीने के नवजात तक में देखने को मिली है।

सरकार ने चेताया है कि कोविड-19 ने भले ही अब तक बच्चों में गंभीर रूप नहीं लिया हो लेकिन अगर वायरस के व्यवहार या महामारी की गतिशीलता में बदलाव आता है तो उनमें इसका असर बढ़ सकता है, और ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिये पुख्ता तैयारी की जा रही है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने पिछले हफ्ते एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि बच्चों में कोविड-19 संक्रमण की समीक्षा तथा नए सिरे से महामारी से निपटने के लिये एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है ताकि देश की तैयारियों को मजबूत किया जा सके।

विशेषज्ञों के मुताबिक, बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का शीघ्र निदान बीमारी को काफी कम कर सकता है और स्टेरॉयड जैसे उपचार के साथ इस रोग का अच्छी तरह इलाज किया जा सकता है।

उन्होंने अभिभावकों और देखभाल करने वालों को सलाह दी कि बच्चों में बुखार को हल्के में न लें क्योंकि कुछ बच्चों जिनमें कोविड-19 के लक्षण नहीं थे, उनमें भी एमआईएस-सी देखने को मिला है।

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और लोक नायक अस्पताल में बाल रोग विभाग के प्रोफेसर अनुराग अग्रवाल कहते हैं कि कोविड-19 से संक्रमित अधिकांश बच्चों में सिर्फ मामूली लक्षण होते हैं लेकिन जिन बच्चों को एमआईएस-सी होता है उनके कुछ अंग और उत्तक जैसे- हृदय, फेफड़े, रक्त वाहिकाएं, गुर्दे, पाचन तंत्र, मस्तिष्क, त्वचा या आंख में काफी सूजन आ जाती है।

उन्होंने कहा, “किसी बच्चे में तीन दिन से बुखार हो और उसके कम से कम दो अंगों के इसमें जुड़े होने के संकेत मिलें जैसे- डायरिया, उल्टी, सांस लेने में तकलीफ, थकान, चकत्ते, नेत्र शोथ आदि, तथा पूर्व में वह कोविड संक्रमित रहा हो या किसी कोविड मरीज के संपर्क में आया हो तो, ऐसे मामलों में तत्काल आगे के परामर्श के लिये चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि यह बीमारी शरीर में अलग-अलग स्तर की गंभीरता के साथ हो सकती है। कुछ मामलों में हल्के रूप में तो कुछ में जानलेवा तौर पर। अगर समय पर इस बीमारी का पता चल जाए तो इसका उपचार किया जा सकता है।

गुरुग्राम स्थित पारस अस्पताल में बालरोग एव नवजात शिशु विभाग के अध्यक्ष मनीष मन्नान कहते हैं कि यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता जल्द इस बीमारी की पहचान कर लें।

उन्होंने कहा, “अगर किसी को तेज बुखार है तो उन्हें बाल रोग विशेषज्ञ से जल्द संपर्क करना चाहिए, संभव हो तो पहले या दूसरे ही दिन। अगर हम बीमारी का जल्दी पता लगा पाएं और इलाज शुरू कर पाएं तो यह कम लंबा चलेगा और गंभीरता भी कम होगी। आप जितना इंतजार करेंगे, रोग की गंभीरता उतनी ही बढ़ती जाएगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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