बिहार में संगठनों की कमी के कारण यहां के किसान कृषि कानून का विरोध करने में पिछड रहे हैं- तारिक

By भाषा | Updated: February 9, 2021 01:08 IST2021-02-09T01:08:53+5:302021-02-09T01:08:53+5:30

Due to lack of organizations in Bihar, the farmers here are lagging behind in opposing the Agricultural Law- Tariq | बिहार में संगठनों की कमी के कारण यहां के किसान कृषि कानून का विरोध करने में पिछड रहे हैं- तारिक

बिहार में संगठनों की कमी के कारण यहां के किसान कृषि कानून का विरोध करने में पिछड रहे हैं- तारिक

पटना, आठ फरवरी कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री तारिक अनवर ने सोमवार को कहा कि बिहार में सक्षम किसान संगठनों की कमी के कारण इस राज्य के किसान पंजाब और हरियाणा के किसानों की तरह कृषि कानून का विरोध नहीं कर पा रहे हैं ।

अनवर ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में यहां संवाददाताओं से बातचीत में सत्तारूढ़ गठबंधन के इस दावे की आलोचना की कि नीतीश कुमार सरकार के एपीएमसी को समाप्त कर दिए जाने का प्रयोग सफल रहा है, ।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि बिहार के किसान पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक की तुलना में बेहतर हैं। उन राज्यों के विपरीत, हमारे पास ऐसे संगठन नहीं हैं जो प्रभावी रूप से अपनी हक के लिए लड सकें ।’’

उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के किसानों की तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग से इनकार कर दिए जाने को ‘‘बाल हठ’’ की संज्ञा देते हुए कहा कि केंद्र से अपना ‘‘अहंकार‘‘ त्यागने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि आज देश में सबसे बड़ी समस्या किसान के आंदोलतरत रहने की है, किसान को और अधिक सुविधा एवं अधिकार देने के बजाए अब उनके जायज हक भी छीने जा रहे हैं ।

अनवर ने कहा कि केन्द्र सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि किसान आन्दोलन पंजाब तक ही सीमित है, लेकिन वास्तविकता यह है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों के किसान भी इसमें बड़ी संख्या में शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि अब विदेशों से भी किसान आन्दोलन के समर्थन में आवाजें आ रही हैं और यह अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को कृषि कानून को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिये तथा तीनों कृषि बिल को वापस लेना चाहिये एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी प्रावधान दिया जाना चाहिये।

उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह आदेश आलोकतांत्रिक कदम है कि जो युवा किसी आन्दोलन में शामिल होंगे उन्हें सरकारी नौकरी से वंचित होना पड़ेगा।

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