मनोरंजन जगत में पक्षपात के कारण आप अपनी कला पर सवाल उठाने लगते हैं: अभिनेता पंकज झा

By भाषा | Updated: June 24, 2021 16:42 IST2021-06-24T16:42:43+5:302021-06-24T16:42:43+5:30

Due to bias in the entertainment world, you start questioning your art: Actor Pankaj Jha | मनोरंजन जगत में पक्षपात के कारण आप अपनी कला पर सवाल उठाने लगते हैं: अभिनेता पंकज झा

मनोरंजन जगत में पक्षपात के कारण आप अपनी कला पर सवाल उठाने लगते हैं: अभिनेता पंकज झा

मुंबई, 24 जून अभिनेता पंकज झा ने कहा कि उनकी नई वेब-सीरिज ‘महारानी’ को मिल रही प्रतिक्रिया से वह बेहद खुश हैं और उनका मानना है कि इसकी सफलता ने उनकी एक दशक से अधिक की मेहनत सफल हो गई है।

वेब-सीरिज ‘महारानी’ में हुमा कुरैशी मुख्य भूमिका निभाग रही हैं। यह एक राजनीतिक ड्रामा है,जो पिछले महीने डिजिटल मंच ‘सोनी लिव’ पर रिलीज हुआ था।

धारावाहिक ‘बालिका वधू’ और ‘क्योंकि जीना इसी का नाम है’ में नजर आ चुके पंकज झा ने ‘महारानी’ में एक मंत्री की भूमिका निभाई है, जिसके लिए उन्हें काफी सराहना मिल रही है।

झा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ ‘महारानी’ की सफलता से मुझे काफी हिम्मत मिली है, उम्मीद जगी है कि लोग मेरा काम देखेंगे और मुझे दिलचस्प किरदारों की पेशकश करेंगे। मुझे ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी। मैं उम्मीद करता हूं कि इससे लोग मेरी कला देखेंगे। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैंने कोई बड़ा ईनाम जीता हो।’’

बिहार में जन्मे झा 2000 की शुरुआत में ‘जन संचार’ की पढ़ाई करने दिल्ली आए थे। फिर राष्ट्रीय राजधानी में उन्होंने ‘थिएटर’ करना शुरू कर दिया, जहां उनकी मुलाकात निर्देशक दिलीप शंकर से हुई, जिन्हें वह उनकी कला निखारने का श्रेय देते हैं। दिल्ली भले वह पढ़ाई के लिए आए हों, लेकिन इसने अभिनय जगत के लिए उनकी राह खोल दी। फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा की 2009 में आई फिल्म ‘दिल्ली6’ में भी वह नजर आए थे।

अभिनेता ने कहा, ‘‘ मुझे कुछ भी रातों-रात नहीं मिला। आज मुझे एहसास होता है कि आखिर क्यों नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मनोज वाजपेयी जैसे अभिनेताओं को आज जिस मुकाम पर वे हैं, वहां पहुंचने में इतना समय लगा। यह एक लंबा सफर है। हिंदी फिल्म उद्योग में अभिनेताओं को परखने का तरीका पारदर्शी नहीं है। पक्षपात फिल्म जगत में आम है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ खुद को एक अच्छा अभिनेता साबित करने में 12-15 साल लग जाते हैं। जब ऐसा होता है तो यकीनन आप खुद पर, इस प्रक्रिया सवाल उठाने लगते हैं। यह हताश करने वाला है। अगर कोई भी किसी अभिनय संस्थान से मुंबई आता है, तो उसे समान प्रक्रिया से ही गुजरना चाहिए। इसमें निष्पक्षता होनी चाहिए। यहीं, कारण है कि प्रतिभाशाली लोगों को पहचान बनाने में समय लगता है। लेकिन मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है।

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