ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण, पलक झपकते ही दुश्मन ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है ये मिसाइल
By स्वाति सिंह | Updated: December 17, 2019 11:48 IST2019-12-17T11:48:43+5:302019-12-17T11:48:43+5:30
ब्रह्मोस कम दूरी की रैमजेट इंजन युक्त, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, लड़ाकू विमान से या जमीन से दागा जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल को दिन अथवा रात तथा हर मौसम में दागा जा सकता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता अचूक होती है।

रैमजेट इंजन की मदद से मिसाइल की क्षमता तीन गुना तक बढ़ाई जा सकती है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मंगलवार को ओडिशा के तट से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को एक एडवांस स्वदेशी साधक के साथ लॉन्च किया गया था। परिक्षण के दौरान मिसाइल का निशाना एक जहाज था। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक सूत्र ने बताया कि परीक्षण सभी उड़ान मापदंडों पर खरा उतरा।
बता दें कि ब्रह्मोस कम दूरी की रैमजेट इंजन युक्त, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, लड़ाकू विमान से या जमीन से दागा जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल को दिन अथवा रात तथा हर मौसम में दागा जा सकता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता अचूक होती है।
Defence Research and Development Organisation (DRDO) today successfully test fired a BrahMos supersonic cruise missile off the coast of Odisha in which it was launched with an advanced indigenous seeker. The target of the missile was a ship. pic.twitter.com/Xkmt7TJHUM
— ANI (@ANI) December 17, 2019
रैमजेट इंजन की मदद से मिसाइल की क्षमता तीन गुना तक बढ़ाई जा सकती है। अगर किसी मिसाइल की क्षमता 100 किमी दूरी तक है तो उसे रैमजेट इंजन की मदद से 320 किमी तक किया जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।
ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की गति ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक 2।8 मैक गति से लक्ष्य पर प्रहार करती है। इसके दागे जाने के बाद दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं मिलता है।
हवा से सतह पर मार करने में सक्षम 2।5 टन वजनी ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 300 किलोमीटर है। इसके एयर लॉन्च वर्जन का परीक्षण लगातार चल रहा है। वायुसेना के सुखोई लड़ाकू विमान से इसके कई सफल फायर ट्रायल को आयोजित किया जा चुका है।
1998 में भारत और रूस ने किया था 1300 करोड़
भारत और रूस ने दोनों देशों की सामरिक शक्ति को मजबूत करने के लिए जब ब्रह्मोस को लेकर समझौता किया था, तब सोचा भी नहीं होगा कि यह रक्षा उत्पादन में बड़ा ब्रांड होगा। मात्र 1300 करोड़ रुपए के शुरुआती निवेश से शुरू किए गए ब्रह्मोस संयुक्त उपक्रम का मूल्य आज 40000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
ब्रह्मोस दोनों देशों द्वारा साझा तौर पर विकसित की गई सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक सुधीर मिश्रा ने कहा कि भारत और रूस को इस परियोजना की तरह ही अन्य क्षेत्रों में भी संयुक्त उपक्रम बनाने चाहिए।
उन्होंने कहा, ''आज की तारीख में हम भारत सरकार को करीब 4000 करोड़ रुपए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर के रूप में देते हैं।'' उन्होंने कहा कि यह संयुक्त उपक्रम 1998 में उस समय बनाया गया था, जब रूस बेहद खराब आर्थिक दौर से गुजर रहा था। भारत ने उस अवसर का लाभ उठाया और ऐसे कई समझौते किए।
मिश्रा यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित विनिर्माण नवोन्मेष सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। ब्रह्मोस संयुक्त उपक्रम हिंदुस्तान के रक्षा अनुंसधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया की साझेदारी से बना। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को तीनों सेना के उपयोग में लाया जा सकता है। यह जमीन पर, लड़ाकू विमानों, जंगी जहाजों और पनडुब्बियों में लगाई जा सकती है।