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डोभाल व शीर्ष रूसी सुरक्षा अधिकारी ने अफगान संकट पर बातचीत की

By भाषा | Updated: September 8, 2021 18:05 IST

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नयी दिल्ली, आठ सितंबर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और उनके रूसी समकक्ष जनरल निकोलाय पेत्रुशेव ने तालिबान शासित अफगानिस्तान से पैदा होने वाले किसी भी संभावित सुरक्षा खतरे का मुकाबला करने के लिए बुधवार को बातचीत की। डोभाल ने एक दिन पहले ही अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्स के साथ इसी तरह की बातचीत की थी।

समझा जाता है कि बर्न्स, पेत्रुशेव और ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई6 के प्रमुख रिचर्ड मूर सहित कई प्रमुख खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों ने पिछले कुछ दिनों में भारत की यात्रा की है।

अधिकारियों के अनुसार, डोभाल - पेत्रुशेव वार्ता में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद भारत, रूस और मध्य एशियाई क्षेत्र पर सुरक्षा प्रभावों पर विचार किया गया क्योंकि जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित कई खतरनाक आतंकवादी समूहों की युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मजबूत उपस्थिति है।

प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के संबंध में एक रूसी विवरण में कहा गया है कि दोनों देशों की "विशेष सेवाओं और सैन्य निकायों" द्वारा संयुक्त कार्य तेज करने पर गौर किया गया तथा अवैध प्रवासन व मादक पदार्थों की तस्करी और "आतंकवाद विरोधी मार्ग" पर आगे बातचीत पर जोर दिया गया।

समझा जाता है कि सीआईए प्रमुख बर्न्स कुछ अधिकारियों के साथ भारत के दौरे पर आए और उन्होंने अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों को वापस बुलाए जाने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर मुख्य रूप से चर्चा की। उनकी यात्रा को चर्चा से दूर रखा गया। बर्न्स ने मंगलवार को डोभाल और राष्ट्रीय सुरक्षा सचिवालय के कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की।

बर्न्स की यात्रा के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी दूतावास ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा भी कोई टिप्पणी नहीं की गयी।

मूर ने भी अपनी संक्षिप्त यात्रा के दौरान डोभाल के साथ व्यापक बातचीत की थी। उनकी भारत यात्रा के बारे में पूछे जाने पर ब्रिटिश उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने कहा, "हम खुफिया मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं।"

अमेरिका द्वारा सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम पर भारत सभी प्रमुख शक्तियों के संपर्क में है।

बयान के अनुसार 24 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच टेलीफोन पर हुयी बातचीत के बाद अगले कदम के तौर पर अफगानिस्तान में सैन्य, राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।

इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष बहुपक्षीय प्रारूपों में अफगान मुद्दे पर समन्वय करने पर सहमत हुए। "उन्होंने इस देश में मानवीय और प्रवासन जैसी समस्याओं के साथ ही रूसी-भारतीय संयुक्त प्रयासों की संभावनाओं पर भी विवार किया जिसका उद्देश्य अंतर-अफगान वार्ता के आधार पर शांतिपूर्ण प्रक्रिया शुरू करने के लिए स्थितियां बनाना है।"

इसमें कहा गया है, "अफगानिस्तान के भविष्य के राज्य ढांचे के मापदंडों को स्वयं अफगान नागरिकों द्वारा परिभाषित करने के महत्व के साथ ही देश में हिंसा, सामाजिक, जातीय ... अंतर्विरोधों को बढ़ने से रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।"

अधिकारियों ने कहा कि अफगानिस्तान से होने वाले आतंकवाद को लेकर भारत और रूस दोनों की समान चिंताएं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अफगान भूभाग से संचालित ड्रग (नशीला पदार्थ) नेटवर्क से होने वाले खतरों, क्षेत्रीय देशों की भूमिका तथा मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत-रूस सहयोग के ब्योरे पर भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श भारत और रूस के बीच घनिष्ठ, भरोसेमंद, विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है जो समय के साथ काफी परिपक्व हुयी है।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने तालिबान शासित अफगानिस्तान से भारत, रूस और मध्य एशियाई क्षेत्र में किसी भी संभावित आतंकवादी गतिविधि से निपटने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण पर विचार-विमर्श किया।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद संभावित सुरक्षा प्रभावों के संबंध में अपने-अपने आकलन से एक-दूसरे को अवगत कराया तथा यह विचार किया कि किसी भी संभावित चुनौती का सामना करने के लिए किस प्रकार समन्वित दृष्टिकोण का पालन किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 अगस्त को अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर बातचीत थी और कहा था कि दोनों देशों के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है।

विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि पेत्रुशेव अफगानिस्तान पर उच्चस्तरीय भारत-रूस अंतर-सरकारी विमर्श के लिए डोभाल के निमंत्रण पर भारत की यात्रा कर रहे हैं।

सोमवार को, रूसी दूत निकोलाय कुदाशेव ने कहा था कि अफगानिस्तान पर भारत और रूस के बीच सहयोग की "पर्याप्त गुंजाइश" है और दोनों देश अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर एक-दूसरे के नियमित संपर्क में हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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