MP Ki Taja Khabar: 'कोरोना वॉरियर्स' के लिए बढ़ती गर्मी में पीपीई किट पहनकर खड़े होना है मुश्किल, फिर भी बचा रहे मरीजों की जान

By भाषा | Updated: April 23, 2020 17:08 IST2020-04-23T17:08:43+5:302020-04-23T17:08:43+5:30

जहां एक ओर कोरोना वायरस लगातार देश में अपने पैर पसार रहा है तो वहीं गर्मी के बढ़ते प्रकोप के बीच डॉक्टरों के लिए निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की किट को लंबे समय तक पहनकर रखना बेहद मुश्किल होता जा रहा है।

Doctors wear PPE kits in between treating the corona positive patients | MP Ki Taja Khabar: 'कोरोना वॉरियर्स' के लिए बढ़ती गर्मी में पीपीई किट पहनकर खड़े होना है मुश्किल, फिर भी बचा रहे मरीजों की जान

डॉक्टरों के साथ ही नर्सों, पैरामेडिकल कर्मियों और वॉर्ड बॉय तक के लिये पीपीई किट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है ताकि इन्हें संक्रमण से बचाया जा सके।(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsश्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में फिलहाल कोविड-19 के 415 मरीज भर्ती हैं।बड़ी तादाद के लिहाज से यह देश में इस महामारी के मरीजों का इलाज कर रहे सबसे व्यस्त अस्पतालों में शुमार है।

इंदौर: काम के बोझ के साथ गर्मी के दिनों-दिन बढ़ते प्रकोप के कारण यहां "कोविड-19 योद्धाओं" के लिये निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की किट लम्बे समय तक पहनकर रखना कतई आसान नहीं है।

इसके बावजूद वे औरों की जिंदगी बचाने के जज्बे के साथ इस "सुरक्षा कवच" को कई घंटों तक पहनकर काम में जुटे दिखायी दे रहे हैं। अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि शहर के श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में फिलहाल कोविड-19 के 415 मरीज भर्ती हैं। इस बड़ी तादाद के लिहाज से यह देश में इस महामारी के मरीजों का इलाज कर रहे सबसे व्यस्त अस्पतालों में शुमार है। 

इस अस्पताल में डॉक्टरों के साथ ही नर्सों, पैरामेडिकल कर्मियों और वॉर्ड बॉय तक के लिये पीपीई किट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है ताकि इन्हें संक्रमण से बचाया जा सके। सैम्स के छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि डोसी ने बताया, "कोविड-19 के मरीजों की बड़ी तादाद के चलते मुझे दिन में आठ घंटे तक पीपीई किट पहनकर रहना पड़ता है। इसके लिये बड़े सब्र और सहनशक्ति की जरूरत होती है।" डोसी ने बताया कि पीपीई किट में पूरा शरीर ढंकने वाले विशेष कपड़ों के साथ हेड गियर, फेस शील्ड, चश्मा, एन-95 मास्क, एक अन्य मास्क, हाथों के लिये दो जोड़ी लम्बे दस्ताने, घुटने तक के मोजे, शू कवर और अन्य सुरक्षा उपकरण शामिल होते हैं। 

इनका कुल वजन करीब डेढ़ किलोग्राम होता है। उन्होंने बताया, "पहले मुझे पूरी पीपीई किट पहनने और उतारने में 15-15 मिनट लगते थे। लेकिन अब मुझे इसकी आदत पड़ चुकी है और मैं ये काम पांच-पांच मिनट में ही कर लेता हूं।" डोसी ने बताया कि दिन का तापमान बढ़ने के कारण पीपीई किट पहनने के बाद स्वास्थ्य कर्मियों को उमस के कारण शरीर में चिपचिपापन महसूस होता है। इसके साथ ही, हाथों में दो जोड़ी दस्ताने पहने होने के कारण चीजों को पकड़ने और अन्य सामान्य काम करने में भी दिक्कत पेश आती है। 

उन्होंने बताया कि चूंकि एक बार पीपीई किट पहन लेने के कारण इसे बार-बार उतारना मुश्किल है। इसलिये इसे पहनने वालों को अपने प्राकृतिक वेगों पर भी नियंत्रण करना होता है। डोसी ने बताया, "काम ज्यादा होने पर हम पानी कम मात्रा में पीते हैं, ताकि हमें बार-बार वॉशरूम न जाना पड़े।" इंदौर में कोविड-19 के निषिद्ध क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में तैनात कई पुलिस कर्मी भी पीपीई किट पहने नजर आते हैं। हालांकि, इस महामारी के प्रकोप के कारण 25 मार्च से कर्फ्यू के दायरे में आये शहर में इस किट को लेकर खाकी वर्दी वालों की अपनी व्यावहारिक परेशानियां हैं। 

पुलिस की एक महिला अधिकारी ने नाम जाहिर न किये जाने की शर्त पर बताया, "हम जानते हैं कि पीपीई किट हमारे बचाव के लिये है लेकिन चिलचिलाती धूप में सड़कों पर पैदल गश्त करते वक्त इसे लम्बे समय तक पहनकर रखना बिल्कुल भी आसान नहीं है। शहर के हालात को देखते हुए हमें लगातार काम करना पड़ रहा है और अलग-अलग तरह के लोगों से निपटना पड़ रहा है।" 

इंदौर, देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इंदौर जिले में बृहस्पतिवार सुबह तक कोविड-19 के कुल 945 मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 53 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है जबकि 77 मरीजों को स्वस्थ होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।

Web Title: Doctors wear PPE kits in between treating the corona positive patients

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