लाइव न्यूज़ :

क्या ‘डीप नेटवर्क्स’ मानव मस्तिष्क की तरह ही चीजों को समझते हैं, अध्ययन में हुआ खुलासा

By भाषा | Updated: April 21, 2021 16:18 IST

Open in App

बेंगलुरु, 21 अप्रैल भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में तंत्रिका विज्ञान केंद्र के एक नए अध्ययन में यह बताया गया है कि दृश्य बोधगम्यता की बात आने पर मानव मस्तिष्क की तुलना में ‘डीप न्यूरल नेटवर्क्स’ कितना सटीक काम करता है।

‘डीप न्यूरल नेटवर्क्स’ मस्तिष्क की कोशिकाओं या मानव मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र से प्रेरित मशीनी अध्ययन प्रणाली है जिसे कुछ विशिष्ट कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।

बेंगलुरु स्थित आईआईएससी ने एक बयान में कहा कि ये नेटवर्क वैज्ञानिकों को हमारे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को समझने में मदद करते हैं कि किसी वस्तु को देखने के बाद हमारा मस्तिष्क उसे कैसे समझता है।

आईआईएससी के बयान के अनुसार बीते दशक में ‘डीप नेटवर्क्स’ प्रणाली ने अध्ययन में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है और मानव मस्तिष्क के दृश्य बोधगम्यता को समझने में ये अब भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

हाल के अध्ययन में सीएनएस में एसोसिएट प्रोफेसर एस पी अरुण और उनकी टीम ने मानव मस्तिष्क की तुलना में इन डीप नेटवर्क्स की विभिन्न गुणों का गुणात्मक अध्ययन किया।

किसी वस्तु को देखने पर मानव मस्तिष्क कैसे प्रतिक्रिया देता है, उसे कैसे समझता है, अन्य वस्तु को देखने पर क्या वह पहले की तुलना में अलग तरीके से कार्य करता है, डीप नेटवर्क्स इसे समझने का भी एक बेहतर मॉडल है।

जटिल गणना इसके सामने कुछ नहीं है, हालांकि कुछ ऐसे निश्चित कार्य जो मानव मस्तिष्क के लिए अपेक्षाकृत रूप से आसान होते हैं उन्हें पूरा करने में इन नेटवर्क्स को मुश्किल आ सकती है।

हालिया अध्ययन ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अरुण और उनकी टीम ने इस अध्ययन के जरिये यह समझने का प्रयास किया है कि इनमें किस दृश्य कार्य को ये नेटवर्क्स अपनी बनावट के अनुरूप स्वाभाविक रूप से पूरा कर लेते हैं और किस कार्य के लिए उन्हें आगे प्रशिक्षण की जरूरत है।

उदाहरण के लिए ‘थैचर इफेक्ट’ में मानव किसी स्थानीय स्वरूप में बदलाव को आसानी से पता लगा लेता है लेकिन इस तस्वीर को उलट दिया जाये तो यह इन नेटवर्क्स के लिए मुश्किल भरा हो सकता है।

सीएनएस में लेखक और पीएचडी छात्र जॉर्जिन जैकब ने बताया कि इसी तरह मानव अगर किसी के चेहरे को देखता है तो सबसे पहले वह पूरा चेहरा देखता है और फिर आंख, नाक, मुंह आदि पर गौर करता है।

इसका मतलब है कि मस्तिष्क की तुलना में नेटवर्क्स किसी तस्वीर को पहली बार में देखने पर उनकी तरफ गहनता से ध्यान केंद्रित करते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतमहाराष्ट्र शीतकालीन सत्र: चाय पार्टी का बहिष्कार, सदनों में विपक्ष के नेताओं की नियुक्ति करने में विफल रही सरकार

भारतगोवा अग्निकांड: मजिस्ट्रियल जांच के आदेश, सीएम प्रमोद सावंत ने ₹5 लाख मुआवज़े की घोषणा की

बॉलीवुड चुस्कीबॉलीवुड डायरेक्टर विक्रम भट्ट ₹30 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार, जानें क्या है मामला

भारतसतत निगरानी, सघन जांच और कार्रवाई से तेज़ी से घटा है नक्सली दायरा: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भारतयूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में योगी सरकार लाएगी 20,000 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट, 15 दिसंबर हो सकता है शुरू

भारत अधिक खबरें

भारतकांग्रेस के मनीष तिवारी चाहते हैं कि सांसदों को संसद में पार्टी लाइन से ऊपर उठकर वोट देने की आजादी मिले, पेश किया प्राइवेट मेंबर बिल

भारत32000 छात्र ले रहे थे शिक्षा, कामिल और फाजिल की डिग्रियां ‘असंवैधानिक’?, सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद नए विकल्प तलाश रहे छात्र

भारतभाजपा के वरिष्ठ शाहनवाज हुसैन ने तेजस्वी यादव पर बोला तीखा हमला, कहा- नेता विपक्ष के नेता के लायक भी नहीं

भारतलालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने जमा किया ₹3 लाख 61 हजार रुपये का बिजली बिल, विभाग ने थमाया था नोटिस

भारतबिहार की राजधानी पटना से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर मोकामा में होगा श्री वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर का निर्माण, राज्य सरकार ने उपलब्ध कराई जमीन