मेट्रो विस्तार के लिए पेड़ काटने की मंजूरी वन विभाग से ले डीएमआरसी: न्यायालय
By भाषा | Updated: November 30, 2021 16:59 IST2021-11-30T16:59:22+5:302021-11-30T16:59:22+5:30

मेट्रो विस्तार के लिए पेड़ काटने की मंजूरी वन विभाग से ले डीएमआरसी: न्यायालय
नयी दिल्ली, 30 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को निर्माण कार्य हेतु पेड़ काटने के लिए वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन विभाग की मंजूरी लेने का निर्देश देते हुए कहा है कि मेट्रो विस्तार के चौथे चरण का क्रियान्वयन दिल्ली-एनसीआर की पारिस्थितिकी के लिए और जोखिम भरा हो सकता है।
डीएमआरसी ने दस हजार से अधिक पेड़ों की पहचान की है जिन्हें जनकपुरी-आरके आश्रम, मौजपुर-मजलिस पार्क और एयरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर (चौथा चरण) के विस्तार के काम के लिए काटना पड़ेगा हालांकि उसके पास पेड़ों की कटाई के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीएमआरसी से कहा है कि वह वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत दिल्ली सरकार के मुख्य वन संरक्षण के यहां मेट्रो के चौथे चरण के निर्माण के लिए भू-उपयोग परिवर्तन की मंजूरी के लिए आवेदन करे।
पीठ ने कहा, ‘‘यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि मुख्य वन संरक्षण और नोडल अधिकारी (एफसीआई), जीएनसीटीडी आवेदन पर विचार करें और इसे अपनी अनुशंसा के साथ आवेदन प्राप्त होने के एक महीने के भीतर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर बढ़ा दें। मंत्रालय इस पर जल्द विचार करे और आवेदन प्राप्ति की तारीख से तीन महीने के भीतर अपने फैसले के बारे में आवेदक डीएमआरसी, मुख्य वन संरक्षण और नोडल अधिकारी को सूचित करें।’’
न्यायालय ने पहले कहा था कि वह विकास को रोक नहीं सकता लेकिन विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन होना आवश्यक है।
शीर्ष अदालत डीएमआरसी की याचिका को जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने को राजी हुआ था जिसमें आरोप लगाया गया है कि पेड़ों की कटाई के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं होने के कारण उसका निर्माण कार्य रोकना पड़ा है।
याचिका में कहा गया था कि निर्माण कार्य रूकने से करीब तीन हजार श्रमिकों के पास काम नहीं है और डीएमआरसी को प्रतिदिन 3.4 करोड़ रूपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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