चेन्नई, 18 दिसम्बर तमिलनाडु में द्रमुक नीत विपक्षी दल केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देते हुए शुक्रवार को एक दिन के अनशन पर बैठे।
द्रमुक के प्रमुख एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता एम. के. स्टालिन के नेतृत्व में पार्टी के सदस्य वल्लुवर कोट्टम में अनशन पर बैठे। वहीं पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. नारायणसामी ने पड़ोसी केन्द्र शासित प्रदेश में प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान तीन सप्ताह से अधिक समय से दिल्ली से लगी सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
स्टालिन ने कहा कि विपक्ष प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता व्यक्त करता है। साथ ही उन्होंने ‘‘जल्दबाजी’’ में कानून बनाने पर सवाल किया।
तमिलनाडु में विपक्ष के नेता स्टालिन ने कहा, ‘‘ किसान (दिल्ली की सीमाओं) पर पिछले 23 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने कई प्रदर्शनों के माध्यम से उन्हें अपना समर्थन दिया है, लेकिन आज की भूख हड़ताल, ‘सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस’ की ओर से एकजुटता व्यक्त करने के लिए की गई है।’’
तमिलनाडु में द्रमुक नीत गठबंधन को ‘सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस’ भी कहा जाता है।
केन्द्र में भाजपा नीत सरकार पर निशाना साधते हुए स्टालिन ने पूछा कि कोविड-19 के बीच कानून बनाने में इतनी ‘‘ जल्दबाजी’’ क्यों की गई और श्रम सुधारों तथा पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) के मसौदे को लेकर भी केन्द्र सरकार पर प्रहार किया।
उन्होंने सरकार पर जनता की बजाय कॉरपोरेट के साथ खड़े होने का आरोप लगाया।
स्टालिन के अलावा, पार्टी की सांसद कनिमोइ, एमडीएमके के वाइको, टीएनसीसी के पूर्व अध्यक्ष केवी थंगाकालु और भाकपा, माकपा और वीसीके के नेता भी प्रदर्शन में शामिल हुए।
दिल्ली से लगी सीमाओं पर प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए प्रदर्शन स्थल पर दो मिनट का मौन भी रखा गया।
इस बीच, पुडुचेरी में मुख्यमंत्री नारायणसामी, कांग्रेस, वाम दलों और वीसीके के नेताओं ने ओडिआंसलाई में अनशन किया।
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि केन्द्र ऐसे विवादस्पद कानून लाई है, जिससे ‘‘ किसानों का नुकसान होगा और कॉरपरेट्स का फायदा होगा।’’
उन्होंने केन्द्र से तुरंत इन कानूनों को वापस लेने और कृषि क्षेत्र का बचाने की अपील की।
वहीं द्रमुक विधायक आर शिव, के. वेंकटेशन और पूर्व शिक्षा मंत्री एसपी शिवकुमार और पार्टी की विभिन्न शाखाओं के सदस्यों ने तिरुकनूर गांव में भूख हड़ताल की।
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