महिला को उसके माता-पिता के संरक्षण से छुड़़ाने के लिये दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज

By भाषा | Updated: January 23, 2021 20:23 IST2021-01-23T20:23:36+5:302021-01-23T20:23:36+5:30

Dismissal habeas petition filed to release woman from protection of her parents rejected | महिला को उसके माता-पिता के संरक्षण से छुड़़ाने के लिये दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज

महिला को उसके माता-पिता के संरक्षण से छुड़़ाने के लिये दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज

कोच्चि, 23 जनवरी केरल उच्च न्यायालय ने खुद को ''आध्यात्मिक गुरू'' बताने वाले 52 वर्षीय व्यक्ति की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है।

व्यक्ति ने एक 21 वर्षीय महिला को अपनी ''आध्यात्मिक लिव-इन-पार्टनर'' बताते हुए उसे उसके माता पिता के संरक्षण से छुड़ाने के लिये यह याचिका दाखिल की थी।

न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन तथा एम आर अनीता की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का ''रिकॉर्ड'' ऐसा नहीं है कि महज इस बात पर युवती को उसके हवाले कर दिया जाए कि वह उसे आध्यात्म की शिक्षा दे रहा है।

अदालत ने 20 जनवरी के अपने आदेश में कहा, ''विशेषकर यह जानते हुए ऐसा नहीं किया सकता कि युवती के माता-पिता ही सबसे पहले मनोवैज्ञानिक परामर्श के लिये उसे उस व्यक्ति के पास ले गए थे और व्यक्ति ने युवती को अपना लिव-इन-पार्टनर बताकर उसके माता-पिता का भरोसा तोड़ दिया जबकि वह खुद शादीशुदा और दो बच्चों को का बाप है।''

व्यक्ति ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि युवती के माता-पिता ने उसे इसलिये अवैध रूप से अपने कब्जे में ले रखा है क्योंकि वह ढाई साल से उसके साथ लिव-इन- रिलेशनशिप में थी।

व्यक्ति ने महिला के आध्यात्मिक लिव-इन-पार्टनर के रूप में अदालत का रुख किया था और दोनों के बीच शादी को लेकर कोई बात नहीं कही थी।

अदालत ने भी महिला से बात कर पाया था कि वह ''अपना निर्णय खुद लेने की स्थिति में नहीं है।'' अदालत ने महिला को अपने माता-पिता के घर में उनके साथ रहने के लिये कहा था।

पीठ ने कहा, ''हमें महिला को उसकी मौजूदा स्थित में उसके माता-पिता के संरक्षण से छुड़ाने का कोई आधार नजर नहीं आता। फिलहाल उसे उनके साथ रहना उचित है।

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Web Title: Dismissal habeas petition filed to release woman from protection of her parents rejected

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