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सदन में बढ़ती अनुशासनहीनता की प्रवृति को रोकने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा जरूरी : ओम बिरला

By भाषा | Updated: November 18, 2021 15:57 IST

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शिमला, 18 नवंबर संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से कुछ दिन पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को कहा कि सदन में बढ़ती अनुशासनहीनता, व्यवधान, हंगामे की बढ़ती प्रवृत्ति को हमें रोकना पड़ेगा तथा जनप्रतिनिधियों में स्व-अनुशासन का विकास करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर सभी राजनीतिक दलों के साथ चर्चा करनी होगी ।

बिरला की अध्यक्षता में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण और उस पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान व्यवधान नहीं किया जायेगा ।

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जनता की बढ़ती आशाएं और आकांक्षाएं विधान मंडलों के माध्यम से ही पूरी हो सकती है तथा सदन के माध्यम से ही सरकार की जवाबदेही तय हो सकती है ।

उन्होंने कहा, ‘‘ जनप्रतिनिधियों को जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति करने के लिए प्रेरित करना हमारा पुनीत कर्तव्य है तथा सदन की गरिमा और मर्यादा को बनाये रखना हमारी जिम्मेदारी है। ’’

बिरला ने कहा, ‘‘ सदन में बढ़ती अनुशासनहीनता, व्यवधान, हंगामे की बढ़ती प्रवृत्ति को हमें रोकना पड़ेगा ।यह आवश्यक है कि विधान मंडलों के सदन निर्बाध रूप से चले । इसके लिए सभी राजनैतिक दलों के नेताओं से चर्चा करेंगे ।’’

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि देश में विधायी निकायों में सुचारू रूप से कामकाज सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा किये जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सभी विधान मंडलों की नियम प्रक्रियाएं एक जैसी हों, सदन सुचारू, बिना व्यवधान के चले... इसके लिए हमें अच्छी परंपराएं और परिपाटियाँ स्थापित करनी होंगी।

बिरला ने कहा, ‘‘सदन में व्यवधान, शोरगुल करने, तख्ती दिखाने की प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए । प्रतिस्पर्धा विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार कर लोगों की ज़िन्दगी बेहतर बनाने की होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि विधान मंडलों की बैठकों की संख्या को बढ़ाने के लिए हम कार्य योजना बनायें जिससे सदस्यों को प्रमुख मुद्दों को उठाने के लिए अधिकतम समय और अवसर उपलब्ध होंगे।

उन्होंने कहा कि बदलते परिदृश्य में सूचना प्रौद्योगिकी से विधान मंडलों के आधुनिकीकरण की आवश्यकता है ।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम ‘‘एक राष्ट्र- विधायी निकायों का एक प्लेटफार्म’’ को निश्चित समय में तैयार करेंगे तथा विधान मंडल के पुरानी चर्चा तथा अन्य संसाधनों को एक स्थान पर उपलब्ध कराएंगे ।

बिरला ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष में संसदीय समितियों का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है और संसदीय समितियों के कामकाज में भी व्यापक परिवर्तन करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी वर्ष में एक बार संसदीय समितियों द्वारा किये गए कार्यों का मूल्यांकन करें तथा समिति को आवश्यक सुझाव दें, ताकि लंबित विषय समयबद्ध तरीके से पूरे हों ।

उन्होंने कहा कि आवश्यकता है कि संसदीय समितियां सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को प्रभावी बनाएं तथा कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करें।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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