अदालत में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों का निहत्था होना चिंता का विषय: न्यायाधीश

By भाषा | Updated: November 27, 2021 14:00 IST2021-11-27T14:00:20+5:302021-11-27T14:00:20+5:30

Disarming of policemen on duty in court a matter of concern: Judge | अदालत में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों का निहत्था होना चिंता का विषय: न्यायाधीश

अदालत में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों का निहत्था होना चिंता का विषय: न्यायाधीश

नयी दिल्ली, 27 नवंबर दिल्ली की एक अदालत ने अभियोजन ‘नायब कोर्ट’ यानी अदालत में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के अदालतों में ‘‘निहत्थे’’ आने को चिंता का विषय बताया है।

अदालत ने कहा कि नायब कोर्ट का ऐसे समय में अदालतों में निहत्थे आना और भी बड़ी चिंता का विषय है, जब उच्चतम न्यायालय ने भी निचली अदालत के न्यायाधीशों को सुरक्षा संबंधी खतरा होने पर संज्ञान लिया है और पुलिस ने इस संबंध में परिपत्र जारी किए हैं।

नायब कोर्ट उस पुलिसकर्मी को कहते हैं, जो स्थानीय पुलिस थाने, जेल प्राधिकारियों और उस विशेष इलाके में अधिकार क्षेत्र रखने वाली अदालत के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करता है। वे अदालत के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए किसी मामले के संबंध में पुलिस अधिकारियों को दिए गए निर्देशों या जारी समन का रजिस्टर तैयार करते हैं।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) सोनू अग्निहोत्री ने बिना अनुमति के अभियोजन नायब कोर्ट के अदालत से चले जाने पर गौर करते हुए यह टिप्पणी की। बिना अनुमति लिए चले जाने के बारे में सवाल किए जाने पर नायब कोर्ट ने न्यायाधीश से कहा कि वह अदालत का निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) नहीं है और उसकी ड्यूटी अतिरिक्त लोक अभियोजक के साथ ही समाप्त हो जाती है।

न्यायाधीश ने 24 नवंबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘अभियोजन नायब कोर्ट का रवैया अजीब प्रतीत होता है, क्योंकि जब तक अदालत में काम-काज जारी है, तब तक किसी अत्यावश्यक आदेश को पहुंचाने जैसी किसी भी सेवा की आवश्यकता पड़ सकती है। वह अदालत से चला गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नायब कोर्ट के कर्तव्यों संबंधी दस्तावेज मंगाया जाए और यह स्पष्ट किया जाए कि क्या अदालत में काम-काज जारी रहने तक अभियोजन नायब कोर्ट का मौजूद रहना अनिवार्य है या नहीं, क्योंकि किसी आपराधिक अदालत में काम-काज के लिए सुरक्षा संबंधी अपनी अनिवार्यताएं होती है। ऐसा खासकर इस परिदृश्य में ध्यान देने योग्य है, जब उच्चतम न्यायालय ने भी निचली अदालतों के न्यायाधीशों को सुरक्षा संबंधी खतरे का संज्ञान लिया है। यह उल्लेख करना और भी प्रासंगिक है कि पुलिस विभाग द्वारा पहले जारी किए गए परिपत्रों के बावजूद, अभियोजन नायब कोर्ट अदालत में निहत्थे उपस्थित होते हैं।’’

इसके अलावा, न्यायाधीश ने इस बात का भी उल्लेख किया कि उनके पुलिस आयुक्त को स्पष्टीकरण के लिए निर्देशित दो आदेश भी उन्हें न भेजकर पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को भेजे गए थे। न्यायाधीश ने शीर्ष पुलिस अधिकारी को कसूरवार अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि दक्षिणी-पूर्वी जिले के पुलिस अधिकारी न केवल अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल हो रहे हैं, बल्कि इस अदालत के आदेशों को दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों तक नहीं पहुंचने देने के जानबूझकर प्रयास किए जा रहे हैं।’’

अदालत ने ये निर्देश आरोपी हिमांशु कुमार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए दिए। हिमांशु पर अपनी पूर्व प्रेमिका का पीछा करने और उसे बदनाम करने के मकसद से उसकी तस्वीरें पोस्ट करने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर अकाउंट खोलने का आरोप है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आरोपी के खिलाफ लगे आरोप गंभीर है। ऐसा बताया गया है कि आरोपी न सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए शिकायतकर्ता पर नजर रख रहा है, बल्कि शिकायतकर्ता को केक भेजकर उसकी जिंदगी में दखल देने की कोशिश भी कर रहा है।’’

एएसजे अग्निहोत्री ने कहा, ‘‘आरोपी द्वारा शिकायतकर्ता को लिखे गए ई-मेल पीड़िता को बदनाम करने के आरोपी के इरादे को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता है, इसलिए आरोपी हिमांशु कुमार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Disarming of policemen on duty in court a matter of concern: Judge

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे