लाभार्थियों के खातों में सीधे रकम पहुंचाने से 1.78 करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच गए: मोदी

By भाषा | Updated: August 2, 2021 23:40 IST2021-08-02T23:40:47+5:302021-08-02T23:40:47+5:30

Direct transfer of funds to beneficiaries accounts saved Rs 1.78 crore from falling into wrong hands: Modi | लाभार्थियों के खातों में सीधे रकम पहुंचाने से 1.78 करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच गए: मोदी

लाभार्थियों के खातों में सीधे रकम पहुंचाने से 1.78 करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच गए: मोदी

नयी दिल्ली, दो अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि एलपीजी सब्सिडी, राशन, चिकित्सा उपचार और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का पैसा लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे भेजे जाने से सरकार ने तकरीबन 1.78 करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बचा लिए।

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को अपनाने में भारत आज दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं है और वह नवोन्मेष तथा सेवा प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के मामले में वैश्विक नेतृत्व की क्षमता रखता है।

प्रधानमंत्री ने यह बात डिजिटल भुगतान समाधान ‘‘ई-रुपी’’ की शुरुआत करने के बाद अपने संबोधन में कही।

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत आज कैसे आधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद से आगे बढ़ रहा है, ‘‘ई-रुपी’’ उसका भी एक प्रतीक है।

मोदी ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि यह शुरुआत ऐसे समय में हो रही है जब देश आजादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे समय में देश ने भविष्यवादी सुधारों का एक और अहम कदम बढ़ाया है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘ई-रुपी’ वाउचर देश में डिजिटल लेन-देन में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) को और भी अधिक प्रभावी बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा एवं ‘डिजिटल गवर्नेंस’ को एक नया आयाम देगा।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे लक्षित, पारदर्शी और लीकेज मुक्त वितरण में सभी को बड़ी मदद मिलेगी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज सरकार डीबीटी के माध्यम से 300 से ज्यादा योजनाओं को लाभार्थियों को उपलब्ध करा रही है और करीब 90 करोड़ लोगों को इसका फायदा मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में अब तक डीबीटी के जरिए करीब 17.50 लाख करोड़ रुपये सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजे जा चुके हैं। आज केंद्र सरकार 300 से ज्यादा योजनाओं का लाभ डीबीटी के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रही है। लगभग 90 करोड़ देशवासियों को इसके तहत किसी न किसी रूप में लाभ हो रहा है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘राशन हो, एलपीजी गैस हो, इलाज हो, स्कॉलरशिप हो, पेंशन हो, मजदूरी हो, घर बनाने के लिए मदद हो, ऐसे अनेक लाभ डीबीटी से मिल रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत एक लाख 35 हजार करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खातों में पहुंचाए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इस बार तो किसानों से जो गेहूं की सरकारी खरीद हुई है, उसके लगभग 85 हज़ार करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खातों में ही हस्तांतरित किए गए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इससे सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि एक लाख 78 हजार करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच गए।’’

मोदी ने कहा, ‘‘भारत आज दुनिया को दिखा रहा है कि प्रौद्यागिकी को अपनाने में वह किसी से भी पीछे नहीं हैं। नवोन्मेष की बात हो, या सेवा प्रदायगी में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की, भारत दुनिया के बड़े देशों के साथ मिलकर वैश्विक नेतृत्व देने की क्षमता रखता है।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी प्रगति को जो गति दी है, उसमें भी प्रौद्योगिकी की भूमिका बहुत अहम है।

कोविड महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से लोगों को मदद पहुंचाने के लिए तैयार किए गए आरोग्य सेतु ऐप और टीकाकरण के लिए बनाए गए कोविन पोर्टल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के लोगों को इनका फायदा मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘पुरानी व्यवस्था चल रही होती तो टीका लगवाने के बाद प्रमाणपत्र के लिए दौड़ना पड़ रहा होता। दुनिया के कई बड़े देशों में भी आज पेपर पर हाथ से लिखकर प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं जबकि भारत के लोग एक क्लिक में डिजिटल प्रमाणपत्र डाउनलोड कर रहे हैं।’’

मोदी ने कहा कि आज भारत की कोविन प्रणाली दुनिया के कई देशों को आकर्षित कर रही है और भारत इसे दुनिया के साथ साझा भी कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन बदलावों का सबसे अधिक फायदा देश के गरीब, पिछड़े और वंचित समुदायों को मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘देश में डिजिटल संसाधन और डिजिटल लेन-देन के लिए जो काम पिछले छह-सात वर्षों में हुआ है, उसका लोहा आज दुनिया मान रही है। विशेषकर भारत में फिनटेक का बहुत बड़ा आधार तैयार हुआ है। ऐसा आधार तो बड़े-बड़े देशों में भी नहीं है।’’

मोदी ने कहा कि 8-10 साल पहले किसी ने कल्पना नहीं की थी कि टोल बूथ पर करोड़ों गाड़ियां संपर्क रहित लेन-देन के माध्यम से निकलेंगी लेकिन आज ‘‘फास्टैग’’ से यह संभव हुआ है।

विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि पहले देश में कुछ लोग कहते थे कि प्रौद्योगिकी तो केवल अमीरों की चीज है।

उन्होंने कहा, ‘‘वह कहते थे कि भारत तो गरीब देश है, इसलिए भारत के लिए प्रौद्योगिकी का क्या काम...जब हमारी सरकार प्रौद्यागिकी को मिशन बनाने की बात करती थी तो बहुत से राजनेता, कुछ खास किस्म के एक्सपर्ट्स उसपर सवाल खड़ा करते थे। लेकिन आज देश ने उन लोगों की सोच को नकारा भी है, और गलत भी साबित किया है। आज देश की सोच अलग है, नई है। आज हम प्रौद्योगिकी को गरीबों की मदद के, उनकी प्रगति के एक टूल के रूप में देख रहे हैं।’’

मोदी ने कहा कि सरकार के अतिरिक्त अगर कोई संगठन किसी के इलाज, शिक्षा या अन्य किसी काम में सहायता करना चाहता है तो वह नकद की जगह ‘‘ई-रुपी’’ वाउचर देने में सक्षम होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे यह सुनिश्चित होगा कि उसके धन का उपयोग उस काम के लिए ही किया गया है, जिसके लिए रकम दी गई थी।’’

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि ‘‘ई-रुपी’’ सफलता के नए अध्याय लिखेगा और सैकड़ों निजी अस्पतालों, उद्योग जगत, गैर सरकारी संगठनों और दूसरे संस्थानों ने भी इसको लेकर बहुत रुचि दिखाई है।

उन्होंने राज्य सरकारों से भी आग्रह किया कि वे अपनी योजनाओं का सटीक और संपूर्ण लाभ सुनिश्चित करने के लिए ‘‘ई-रुपी’’ का अधिक से अधिक उपयोग करें।

मोदी ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि हम सभी की ऐसी ही सार्थक साझेदारी एक ईमानदार और पारदर्शी व्यवस्था के निर्माण को और गति देगी।’’

‘ई-रुपी’ डिजिटल भुगतान के लिए नकदी रहित और संपर्क रहित माध्यम है।

इसे ‘नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’ ने अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से विकसित किया है।

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