आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए आवासीय कॉलोनी का विकास

By भाषा | Updated: August 12, 2021 14:31 IST2021-08-12T14:31:21+5:302021-08-12T14:31:21+5:30

Development of residential colony for surrendered Naxalites | आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए आवासीय कॉलोनी का विकास

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए आवासीय कॉलोनी का विकास

रायपुर, 12 अगस्त छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए पुलिस आवासीय कालोनी विकसित कर रही है। इस कॉलोनी में उन्हें आवास के साथ रोजगार का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा जिससे वह समाज में बेहतर जीवन जी सकें।

दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बृहस्पतिवार को बताया कि जिले में चल रहे लोन वर्राटू (घर वापस आइए) अभियान के बाद पुलिस अब उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनके लिए आवासीय कॉलोनी विकसित कर रही है।

पल्लव ने बताया कि देश में पहली बार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए इस तरह की कॉलोनी विकसित की जा रही है। अगले वर्ष 26 जनवरी को कॉलोनी का उद्घाटन करने की योजना है।

उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा शहर में पुलिस लाइन के सामने 39 एकड़ के क्षेत्र में विकसित की जा रही इस आवासीय कालोनी में 108 वन बीएचके अपार्टमेंट के साथ मनोरंजन केंद्र, योग केंद्र और जिम, प्राथमिक विद्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, छात्रावास तथा आंगनवाड़ी की सुविधा होगी। पहले चरण में 21 एकड़ में निर्माण कार्य होगा।

पल्लव ने बताया कि निर्माण कार्य करने वाले कामगारों में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली भी शामिल हैं। वह बढ़चढ़ कर इसमें हिस्सा ले रहे हैं।

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा दी गई विशेष सहायता निधि से कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है। पहली किस्त के रूप में ढाई करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। परियोजना की कुल लागत लगभग नौ करोड़ रुपए है।

उन्होंने बताया कि जिले में पिछले वर्ष जून से लोन वर्राटू अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान से प्रभावित होकर अब तक 400 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के साथ-साथ पुलिस जिले के प्रत्येक गांवों में माओवादी खतरे की दृष्टि से सुरक्षा स्थिति का आकलन रही है। जिले में गांवों को तीन श्रेणियों- लाल (अतिसंवेदनशील), पीला (संवेदनशील) और हरा (सामान्य) में रखा है।

उन्होंने बताया कि इस आंकलन के दौरान पाया गया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली जो लाल श्रेणी के गांव के निवासी हैं उन्हें अपने पूर्व सहयोगियों से खतरा है। यदि वह लौटकर अपने गांव जाते हैं तब वह उनके लिए सुरक्षित नहीं होगा।

पल्लव ने बताया कि इस आंकलन के बाद पुलिस ने ऐसे आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए आवासीय कॉलानी 'लोन वर्राटू हब' विकसित करने का फैसला किया।

उन्होंने बताया कि इस कॉलोनी में लाल श्रेणी के गांवों के आत्मसर्मिर्पित नक्सलियों को आवास की सुविधा दी जाएगी। लेकिन वह अपने पैतृक गांवों से स्थायी रूप से विस्थापित नहीं होंगे। जब उनका गांव लाल श्रेणी से निकलकर पीले या हरी श्रेणी में आता है और स्थिति उनके रहने के लिए अनुकूल हो जाती है तब उन्हें वापस जाने की अनुमति दी जाएगी।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा लाल श्रेणी के गांवों में नक्सली हिंसा के पीड़ितों लोगों को भी उनकी इच्छा के अनुसार कॉलोनी में आवास दिया जाएगा।

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कॉलोनी में रोजगार के प्रशिक्षण देने से संबंधित संस्थान भी होगा, जहां निवासियों को मोटरसाइकिल मरम्मत, लघु वनोपज प्रसंस्करण, आधुनिक खेती सहित लगभग 20 विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि कॉलोनी में 20 दुकानें भी बनाई जा रही हैं, जहां आत्मसमपर्पित नक्सलियों को कौशल विकास प्रशिक्षण के बाद अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए सहायता दी जाएगी। मकानों की तरह दुकानों को स्थायी रूप से आवंटित नहीं किया जाएगा तथा सहकारी आधार पर उसे संचालित किया जाएगा।

पल्लव ने बताया कि इसके साथ ही लाल श्रेणी वाले गांवों में पुलिस ने वहां के निवासियों को आयुष्मान कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड और मतदाता परिचय पत्र प्राप्त करने और उनके बैंक खाते खोलने में मदद करनी शुरू कर दी है जिससे लोगों में प्रशासन पर विश्वास बढ़े।

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Web Title: Development of residential colony for surrendered Naxalites

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