लाइव न्यूज़ :

सरकार के उपायों के बावजूद असम में इंसानों एवं हाथियों के बीच संघर्ष बढ़ा

By भाषा | Updated: December 19, 2021 17:13 IST

Open in App

(दूर्बा घोष)

गुवाहाटी, 19 दिसंबर देश में सबसे अधिक हाथियों की दृष्टि से दूसरे नंबर पर आने वाले असम में वन्यभूमि के लगातार खेतों एवं चाय बगानों में तब्दील होने के कारण इंसानों एवं हाथियों के बीच संघर्ष की प्रवृति बढ़ती ही जा रही है।

इस साल ट्रेन के कारण हादसे, बिजली का करंट लगने, जहरखुरानी ,गड्ढों में गिरने तथा तड़ित के कारण 71 हाथियों की मौत हुई है जबकि इंसान के साथ संघर्ष में 61 हाथियों की जान चली गयी।

पिछले दस वर्षों में जमीन के लिए प्रतिस्पर्धा तेज होने के बीच कुल 812 इंसानों तथा 900 हाथियों की मौत हुई। जनसंख्या में वृद्धि एवं फलस्वरूप गरीबी बढ़ने से इंसान ने अपनी सीमाओं का विस्तार किया, परिणामस्वरूप जानवरों ने अपने आशियाने जंगल को सिकुड़ता पाया।

एलीफेंट फाउंडेसन के कौशक बरुआ ने कहा, ‘‘ बिखरते, घटते, सिकुड़ते एवं अतिक्रमित पर्यावास से इंसान-हाथी संघर्ष हुआ, फलस्वरूप बिजली का करंट लगने से, जहरखुरानी , ट्रेनों से टक्कर जैसी घटनाएं होने लगीं। यह असम के जंगली हाथियों की कहानी है और इसी दर पर, हाथियों की जिस संख्या पर हमें गर्व है, घटने लगी है।’’

असम में फिलहाल करीब 5700 हाथी हैं और वह इस सिलसिले में कर्नाटक के बाद दूसरे नंबर पर है। कर्नाटक में 6000 से अधिक हाथी हैं।

एक महीने से भी कम समय में चार जिंदगियां लीलने वाली तेज सरपट दौड़ती ट्रेनें एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है तथा राज्य सरकार एवं रेल प्रशासन हरकत में आ गया है।

पर्यावरण एवं वन मंत्री परिमल सुक्लावैद्य ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ राज्य सरकार ने हाथियों को हादसे संबंधी मौतों से बचाने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलाकर समन्वय समितियां गठित की है एवं अधिसूचित की हैं तथा स्थानीय रेंज अधिकारी को उनका सदस्य सचिव बनाया गया है।’’

उन्होंने कहा कि रेलमार्गों पर हाथियों के लिए संभावित जानलेवा क्षेत्रों की पहचान की गयी है तथा उसके लिए संबंधित कर्मी निगरानी करते हैं तथा इस बात के लिए रेल ड्राइवरों के लिए साइनबोर्ड भी लगाये गये हैं कि वहां हाथियों के होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि रेलमार्गों के आसपास नियमित रूप से वनस्पतियां साफ की जाती हैं ताकि ट्रेन चालाकों को हाथी नजर आ जाये तथा ऐसे दस्ते भी बनाये गये हैं जो ऐसे हादसों को रोकने के लिए काम करते हैं।

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे की प्रवक्ता गुनीत कौर ने पीटीआई भाषा को बताया कि सतर्क ट्रेन चालकों द्वारा हाथियों को बचाने के कई उदाहरण हैं लेकिन हाल की घटना के संदर्भ में वन अधिकारियों या ग्रामीणों द्वारा नोडल रेलवे अधिकारियों को जानवरों की आवाजाही के बारे में कोई सूचना नहीं मिली।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतटीचर से लेकर बैंक तक पूरे देश में निकली 51,665 भर्तियां, 31 दिसंबर से पहले करें अप्लाई

भारतगोवा अग्निकांड पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुख, पीड़ितों के लिए मुआवजे का किया ऐलान

भारतGoa Fire Accident: अरपोरा नाइट क्लब में आग से 23 लोगों की मौत, घटनास्थल पर पहुंचे सीएम सावंत; जांच के दिए आदेश

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत

पूजा पाठPanchang 07 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

भारत अधिक खबरें

भारतEPFO Rule: किसी कर्मचारी की 2 पत्नियां, तो किसे मिलेगी पेंशन का पैसा? जानें नियम

भारतरेलवे ने यात्रा नियमों में किया बदलाव, सीनियर सिटीजंस को मिलेगी निचली बर्थ वाली सीटों के सुविधा, जानें कैसे

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल