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लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित अलीगढ़ के प्रसिद्ध ताला उद्योग को बचाने की मांग

By भाषा | Updated: May 23, 2021 12:51 IST

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अलीगढ़ (उप्र) 23 मई कोविड-19 रोधी लॉकडाउन के चलते बुरी तरह प्रभावित हुए अलीगढ़ के प्रसिद्ध ताला उद्योग को बचाने के लिए राज्य सरकार से त्वरित कदम उठाने की मांग की गई है।

उद्यमियों का कहना है कि महामारी रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से पहले नोटबंदी, डिजिटल लेन-देन और जीएसटी के चलते भी ताला उद्योग को काफी नुकसान हुआ।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी इकाइयों में से एक के मालिक विजय कुमार बजाज ने कहा, "पिछले दो महीनों के दौरान कच्चे माल की कीमतों में अचानक भारी वृद्धि हुई है, लेकिन बाजार हमारे तैयार उत्पादों में किसी भी वृद्धि को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।''

बजाज ने कहा, ''कच्‍चे माल की कीमतों को कम करने पर सरकार को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है और ताला उद्योग को झटका देने वाले कारणों की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए।''

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अलीगढ़ शहर में ताला निर्माण की लगभग 6,500 इकाइयां ज्यादातर कुटीर इकाइयों के रूप में हैं और लगभग 1. 5 लाख कुशल और अकुशल श्रमिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस व्यवसाय में शामिल हैं।

अलीगढ़ इंडस्ट्रियल एस्टेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के सचिव, दिनेश चंद वार्ष्णेय ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन भेजकर शहर में ताला निर्माण से जुड़े उद्यमियों की समस्याओं से अवगत कराया है और उद्योग की तात्कालिक आवश्यकता को पूरा करने की मांग की है।

लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष गौरव मित्तल ने बताया कि पिछले सप्ताह उनके संगठन के सदस्यों ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री को अलीगढ़ ताला उद्योग के सामने आए संकट और चुनौतियों से अवगत कराया था।

अलीगढ़ का ताला उद्योग करीब 40 वर्ष पहले बड़े पैमाने पर अपनी धाक जमाए हुए था जिसमें मुख्यत: पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अन्य देशों, विशेष रूप से चीन से आने वाले तालों के प्रसार के बाद इसे नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

बजाज के अनुसार कई स्‍थानीय प्रगतिशील निर्माताओं ने प्रतिस्पर्धा के लिए नवीनतम तकनीक को अपनाया और सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की।

इस क्रम में बजाज और कुछ प्रगतिशील निर्माताओं ने जरूर बदलते समय के साथ तालमेल बिठाने के लिए प्रयास किया लेकिन बहुत से लोगों को नई चुनौतियों के बीच अपना कारोबार बंद करना पड़ा क्योंकि उन्होंने अपनी पारंपरिक कार्यशैली को छोड़ना मुनासिब नहीं समझा।

चार दशक से अधिक समय से एक सफल इकाई चलाने वाले नसीम अहमद को नई चुनौतियों के कारण लगभग तीन वर्ष पहले कारोबार बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

उद्योग पर संकट के बारे में अहमद ने कहा कि ज्यादातर पुरानी कुटीर इकाइयां पारंपरिक तौर पर चल रही थीं और छह दिनों के निर्माण के बाद सातवें दिन वे अपना माल दिल्‍ली के बाजार में भेज देती थीं और नकद भुगतान प्राप्त करती थीं तथा इसी प्रणाली से कारोबार चल रहा था।

अहमद के अनुसार कोरोना वायरस ने एक नई चुनौती पेश की और पूरे कारोबार की कमर टूट गई।

उन्होंने कहा कि पहला झटका नोटबंदी के बाद तथाकथित डिजिटलीकरण था जिसका सामना असंगठित उद्यमी नहीं कर सके। इसके बाद जीएसटी असंगठित क्षेत्र के लिए एक और गंभीर झटका था। अहमद ने बिजली शुल्क में भारी वृद्धि को भी उद्योग के लिए नुकसान का जिम्मेदार ठहराया।

उत्तर प्रदेश राज्य उद्योग व्यापार मंडल के राज्य सचिव एवं जिलाध्यक्ष प्रदीप गंगा ने हस्तक्षेप की मांग करते हुए अपील की कि सरकार 31 अगस्त तक सभी ऋणों की अदायगी की किस्तों को रोकने के लिए सभी बैंकों को तुरंत आदेश जारी करे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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