जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी: आयोग प्रमुख
By भाषा | Published: July 9, 2021 11:38 PM2021-07-09T23:38:43+5:302021-07-09T23:38:43+5:30
जम्मू, नौ जुलाई परिसीमन आयोग की प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी और इसमें कोई भय और संदेह नहीं होना चाहिए।
आयोग की प्रमुख देसाई अपने अन्य सदस्यों के साथ केन्द्र शासित प्रदेश में निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के वास्ते सूचना एकत्र करने के लिए जम्मू-कश्मीर के चार दिवसीय दौरे पर हैं।
आयोग ने कहा कि 2011 की जनगणना के आधार पर ही परिसीमनका काम होगा और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पड़ने वाली 24 विधानसभा सीटें खाली रहेंगी जो इसके (आयोग) पूर्वावलोकन से बाहर हैं। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) देसाई ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं आपको अपनी और अपने सहयोगियों की ओर से आश्वस्त करती हूं कि यह प्रक्रिया निर्धारित कानून के अनुसार पारदर्शी होने जा रही है। मुझे नहीं लगता कि किसी को भी ऐसी कोई आशंका होनी चाहिए।’’
वह कश्मीर में राजनीतिक दलों और लोगों के एक वर्ग द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बारे में एक सवाल का जवाब दे रही थीं कि यह एक राजनीतिक दल के एजेंडे द्वारा निर्देशित एक पूर्व नियोजित कवायद है। उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रक्रिया पारदर्शी होगी और इसमें कोई भय और संदेह नहीं होना चाहिए। हम केवल उन लोगों से बात कर सकते हैं जो इस प्रक्रिया में भाग लेना चाहते हैं। जो नहीं चाहते हैं, यह उनकी अपनी पसंद है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि हम तय कानून के मुताबिक इस काम को पारदर्शी तरीके से पूरा करेंगे, नहीं तो हम यहां आकर ये दिन सब सुनने में नहीं बिता रहे होते।’’
पीडीपी के उनकी कार्यवाही से दूर रहने के बारे में एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आयोग चाहता था कि उन्होंने भी भाग लिया होता। ‘‘अन्य सभी दलों ने भाग लिया।’’
इस आयोग में शामिल मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि वे खुले दिमाग से यहां आए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमारे मन में कुछ होता और पहले ही फैसला कर लिया होता और आयोग लोगों को सुनने के लिए यहां नहीं आता। हम इस पर बहुत स्पष्ट हैं कि कुछ भी तय नहीं किया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रक्रिया शुरू करने से पहले, हम सभी व्यक्तियों के विचार जानना चाहते हैं। किसी भी व्यक्ति के मन में यदि कोई आशंका है तो वह दूर हो जाएं।’’ चंद्रा ने कहा कि आयोग द्वारा तैयार किए गए मसौदे को आपत्तियों और प्रश्नों के लिए सार्वजनिक रूप से रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि अंतिम मसौदा तैयार करते समय आयोग के सहयोगी सदस्यों से भी सलाह ली जाएगी।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से तैयार करने की कवायद ‘‘एक बहुत ही जटिल मुद्दा है और केवल अंकगणित नहीं है।’’ पीओके की 24 सीटों के संबंध में उन्होंने कहा कि कानून में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि ये निर्वाचन क्षेत्र खाली रहें और परिसीमन आयोग के पूर्वावलोकन से बाहर होंगी।
आयोग ने छह जुलाई और सात जुलाई को कश्मीर में और आठ जुलाई और नौ जुलाई को जम्मू में विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की थी। आयोग ने 290 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की, जिसमें 800 से अधिक लोग शामिल थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या जम्मू को इस बार न्याय मिलेगा क्योंकि राजनीतिक सशक्तीकरण के संबंध में उसे भेदभाव का सामना करना पड़ा है, चंद्रा ने कहा कि आयोग के लिए जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इसे एक इकाई के रूप में देखते हैं। हम कश्मीर और जम्मू के बीच विभाजन नहीं करते हैं।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।