नयी दिल्ली, 14 नवंबर दिल्ली में दिवाली के दिन शनिवार को वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई और वातावरण में मौजूद ‘पीएम 2.5’ के स्तर में 32 फीसदी हिस्सेदारी पराली जलाए जाने की रही।
इसके साथ ही हवा की गति मंद होने के कारण स्थिति ज्यादा खराब हो रही है क्योंकि ऐसी स्थिति में प्रदूषण कण जमा हो जाते हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली ‘सफर’ के मुताबिक अगर स्थानीय स्तर पर भी वायु प्रदूषण में थोड़ी बढ़ोतरी हुई तो रविवार और सोमवार को बहुत बुरा असर हो सकता है।
सफर के अनुसार अगर स्थानीय स्तर पर प्रदूषक कणों का उत्सर्जन हुआ तो शनिवार देर रात एक बजे से रविवार सुबह छह बजे के बीच पीएम 10 और पीएम 2.5 उच्चतम स्तर तक पहुंच सकते हैं।
इससे पहले, ‘सफर’ का आकलन था कि यदि दिवाली पर पटाखे नहीं जलाए गए तो दिल्ली की हवा में ‘पीएम 2.5’ कणों की मात्रा पिछले चार साल के मुकाबले सबसे कम रह सकती है।
शहर में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 369 दर्ज किया गया।
दिल्ली में चौबीस घंटे का औसतन एक्यूआई शुक्रवार को 339 और बृहस्पतिवार को 314 था।
फरीदाबाद में एक्यूआई 323, गाजियाबाद में 412, नोएडा में 362, ग्रेटर नोएडा में 350 और गुरुग्राम में 338 दर्ज किया गया।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की ओर से कहा गया है कि इस साल दिवाली के बाद पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवा की गति बढ़ने से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार होने के आसार हैं।
आईएमडी के क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण रविवार को हल्की बारिश भी हो सकती है।
उन्होंने कहा, “दिवाली के बाद हवा की गति बढ़ने से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। रविवार को हवा की अधिकतम गति 12 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की उम्मीद है।”
आईएमडी के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने कहा कि हवा नहीं चलने और पटाखों के कारण दिवाली की रात वायु गुणवत्ता “गंभीर” श्रेणी में जा सकती है।
उन्होंने कहा कि 16 नवंबर को वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
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