अफगान संकट से निपटने के लिए साझा दृष्टिकोण पर चर्चा के लिए दिल्ली सुरक्षा वार्ता

By भाषा | Updated: November 9, 2021 01:14 IST2021-11-09T01:14:29+5:302021-11-09T01:14:29+5:30

Delhi security talks to discuss common approach to deal with Afghan crisis | अफगान संकट से निपटने के लिए साझा दृष्टिकोण पर चर्चा के लिए दिल्ली सुरक्षा वार्ता

अफगान संकट से निपटने के लिए साझा दृष्टिकोण पर चर्चा के लिए दिल्ली सुरक्षा वार्ता

नयी दिल्ली, आठ नवंबर भारत बुधवार को अफगानिस्तान पर सुरक्षा वार्ता के लिए रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की मेजबानी करेगा जो अफगान संकट के बाद आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों के बढ़ते खतरों से निपटने में व्यावहारिक सहयोग के लिए साझा दृष्टिकोण तलाशेंगे।

सूत्रों ने कहा कि चीन को 'अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता' के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उसने भारत को पहले ही सूचित कर दिया है कि वह कार्यक्रम के समय से संबंधित कुछ मुद्दों के कारण बैठक में शामिल नहीं हो पाएगा। पाकिस्तान ने भी बैठक में शामिल न होने का फैसला किया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में होने वाले संवाद में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी भी शामिल होंगे।

सूत्रों ने कहा कि बैठक में शामिल हो रहे आठ देशों के बीच अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद की सुरक्षा जटिलताओं पर चर्चा होगी और बातचीत मुख्यत: चुनौतियों से निपटने के लिए व्यावहारिक चीजों पर सहयोग करने पर केंद्रित रहेगी।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से लोगों की सीमा पार आवाजाही के साथ-साथ वहां अमेरिकी बलों द्वारा छोड़े गए सैन्य उपकरणों और हथियारों से उत्पन्न खतरे पर भी सुरक्षा अधिकारियों द्वारा विचार-विमर्श किए जाने की उम्मीद है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि वार्ता में ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान की विस्तारित भागीदारी दिखेगी तथा देशों का प्रतिनिधित्व उनके संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार या सुरक्षा परिषदों के सचिवों द्वारा किया जाएगा।

इसने एक बयान में कहा, "उच्चस्तरीय वार्ता में क्षेत्र में अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम से उत्पन्न सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की जाएगी। इसमें प्रासंगिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के उपायों पर विचार किया जाएगा और शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता को बढ़ावा देने में अफगानिस्तान के लोगों का समर्थन किया जाएगा।"

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के पारंपरिक रूप से अफगानिस्तान के लोगों के साथ घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं तथा नयी दिल्ली ने अफगानिस्तान के समक्ष उत्पन्न सुरक्षा और मानवीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए एकीकृत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का आह्वान किया है।

इसने कहा कि यह बैठक उस दिशा में एक कदम है।

सूत्रों ने कहा कि वार्ता में शामिल हो रहे देशों में से किसी ने भी तालिबान को मान्यता नहीं दी है और अफगानिस्तान की स्थिति पर उन सभी की समान चिंताएं हैं।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर पाकिस्तान की कार्रवाइयों और इरादों के बीच विश्वसनीयता संबंधी अंतर है।

वार्ता में चीन के अनुपस्थित रहने के बारे में सूत्रों ने कहा कि यद्यपि बीजिंग कार्यक्रम के समय संबंधी कुछ जटिलतओं की वजह से सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहा लेकिन उसने अफगानिस्तान के मुद्दे पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय माध्यमों से भारत के साथ संपर्क में रहने की बात कही है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि चीन इसमें शामिल होता तो हमें प्रसन्नता होती लेकिन शायद सीपीसी की केंद्रीय समिति की बैठक उसके शामिल न होने एक कारण हो सकती है।’’

पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के संवाद के पूर्व संस्करणों में 2018 और 2019 में भी इसमें भारत की भागीदारी के चलते शामिल होने से इनकार कर दिया था।

सूत्रों ने कहा कि ईरान का प्रतिनिधित्व वहां की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव रियर एडमिरल अली शामखानी करेंगे, जबकि रूस का प्रतिनिधित्व वहां की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पी. करेंगे।

उन्होंने कहा कि कजाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के अध्यक्ष करीम मासीमोव अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे जबकि किर्गिस्तान अपनी सुरक्षा परिषद के सचिव मरात मुकानोविच इमांकुलोव को भेज रहा है।

ताजिकिस्तान की सुरक्षा परिषद के सचिव नसरुल्लो रहमतजोन महमूदज़ोदा और तुर्कमेनिस्तान के सुरक्षा मामलों के मंत्रिमंडल उपाध्यक्ष चार्मीरत काकलयेवविच अमावोव अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व करेंगे।

सुरक्षा अधिकारियों का संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने का भी कार्यक्रम है।

डोभाल अपने अतिथि समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

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Web Title: Delhi security talks to discuss common approach to deal with Afghan crisis

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