दिल्ली दंगे: उच्च न्यायालय ने तीन छात्रों को दी जमानत

By भाषा | Updated: June 15, 2021 16:25 IST2021-06-15T16:25:17+5:302021-06-15T16:25:17+5:30

Delhi riots: High court grants bail to three students | दिल्ली दंगे: उच्च न्यायालय ने तीन छात्रों को दी जमानत

दिल्ली दंगे: उच्च न्यायालय ने तीन छात्रों को दी जमानत

(शिखा वर्मा)

नयी दिल्ली, 15 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के एक मामले में गिरफ्तार जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के तीन छात्र-छात्राओं को मंगलवार को जमानत दे दी। साथ ही, कहा कि सरकार ने असहमति को दबाने की अपनी बेताबी में प्रदर्शन करने का अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा धुंधली कर दी तथा यदि यह मानसिकता मजबूत होती है तो यह ‘‘लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा। ’’

उच्च न्यायालय ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत ‘आतंकवादी गतिविधि’ की परिभाषा को ‘कुछ न कुछ अस्पष्ट’ करार दिया और इसके ‘‘लापरवाह तरीके’’ से इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी। साथ ही, अदालत ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा नताशा नरवाला और देवांगना कलिता और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा की जमानत इनकार करने के निचली अदालत के आदेशों को निरस्त कर दिया तथा उनकी अपील स्वीकार ली और उन्हें नियमित जमानत दे दी।

इन तीनों को पिछले साल फरवरी में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में सख्त यूएपीए कानून के तहत मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि हमारे राष्ट्र की नींव इतनी मजबूत है कि उसके किसी एक प्रदर्शन से हिलने की संभावना नहीं है...। ’’

उच्च न्यायलय ने 113, 83 और 72 पृष्ठों के तीन अलग-अलग फैसलों में कहा कि यूएपीए की धारा 15 में ‘आतंकवादी गतिविधि’ की परिभाषा व्यापक है और कुछ न कुछ अस्पष्ट है, ऐसे में आतंकवाद की मूल विशेषता को सम्मलित करना होगा और ‘आतंकवादी गतिविधि’ मुहावरे को उन आपरधिक गतिविधियों पर ‘लापरवाह तरीके से’’ इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती जो भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) के तहत आते हैं।

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि असहमति को दबाने की अपनी बेताबी में सरकार के दिमाग में प्रदर्शन करने के लिए संविधान प्रदत्त अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा कुछ न कुछ धुंधली होती हुई प्रतीत होती है। यदि यह मानसकिता प्रबल होती है तो यह लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा...। ’’

अदालत ने कहा कि आतंकवादी गतिविधि को प्रदर्शित करने के लिए मामले में कुछ भी नहीं है।

अदालत ने ‘पिंजरा तोड़’ कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और तन्हा को अपने-अपने पासपोर्ट जमा करने, गवाहों को प्रभावित नहीं करने और सबूतों के साथ छेड़खानी नहीं करने का निर्देश भी दिया। इन्हें 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानतदारों पर रिहा करने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि तीनों आरोपी किसी भी गैर-कानूनी गतिविधी में हिस्सा नहीं लें और कारागार रिकॉर्ड में दर्ज पते पर ही रहें।

तन्हा ने एक निचली अदालत के 26 अक्टूबर, 2020 के उसे आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने इस आधार पर उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि आरोपियों ने पूरी साजिश में कथित रूप से सक्रिय भूमिका निभाई थी और इस आरोप को स्वीकार करने के लिए पर्याप्त आधार है कि आरोप प्रथम दृष्टया सच प्रतीत होते हैं।

नरवाल और कालिता ने निचली अदालत के 28 अक्टूबर के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें, अदालत ने यह कहते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया था कि उनके खिलाफ लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होते हैं और आतंकवाद विरोधी कानून के प्रावधानों को वर्तमान मामले में सही तरीके से लागू किया गया है।

उन्होंने दंगों से संबंधित यूएपीए के एक मामले में अपनी जमानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए अपनी अपील दायर की थी।

गौरतलब है कि 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसने सांप्रदायिक टकराव का रूप ले लिया था। हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी तथा करीब 200 लोग घायल हो गए थे।

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Web Title: Delhi riots: High court grants bail to three students

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