महिला रो रही थी, दहेज उत्पीड़न का मामला नहीं बन सकता?, न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने दी फैसला, जानें कहानी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 17, 2025 15:51 IST2025-08-17T15:50:39+5:302025-08-17T15:51:23+5:30
उच्च न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण निमोनिया बताया गया है, न कि क्रूरता।

सांकेतिक फोटो
नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि केवल इस तथ्य से कि एक महिला रो रही थी, दहेज उत्पीड़न का मामला नहीं बन सकता। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति और उसके परिवार को क्रूरता एवं दहेज उत्पीड़न के आरोपों से मुक्त करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए की।
अभियोजन पक्ष के अनुसार महिला का उसके पति और ससुराल वालों ने उत्पीड़न किया और दहेज की मांग की। महिला का विवाह दिसंबर 2010 में हुआ था। महिला के परिवार ने दावा किया कि उन्होंने शादी पर लगभग चार लाख रुपये खर्च किए थे लेकिन पति और ससुराल वालों ने मोटरसाइकिल, नकदी और सोने के कंगन की मांग की। महिला की दो बेटियां थीं, उसकी 31 मार्च 2014 को मौत हो गई थी।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘मृतका की बहन का धारा 161 के तहत बयान दर्ज किया गया जिसमें उसने यह भी कहा कि होली के अवसर पर उसने अपनी बहन को फोन किया था और उस दौरान उसकी बहन रो रही थी। हालांकि केवल इसलिए कि महिला रो रही थी, दहेज उत्पीड़न का कोई मामला नहीं बनता।’’
निचली अदालत ने यह कहते हुए अभियुक्तों को बरी कर दिया था कि मौत निमोनिया के कारण हुई थी। उच्च न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण निमोनिया बताया गया है, न कि क्रूरता।