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दिल्ली उच्च न्यायालय ने एम जे अकबर की अपील पर रमानी से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: August 11, 2021 16:44 IST

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नयी दिल्ली, 11 अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर की अपील पर पत्रकार प्रिया रमानी से बुधवार को जवाब मांगा। अकबर ने यौन शोषण के आरोपों को लेकर दायर आपराधिक मानहानि मामले में रमानी को बरी करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है। उन्होंने इस आधार पर अपील की है कि यह फैसला ‘‘शंका और अटकलों के आधार पर’’ दिया गया।

अकबर ने उच्च न्यायालय में अपनी अपील में कहा कि निचली अदालत ने याचिका पर यौन शोषण मामले को देखते हुए फैसला किया न कि मानहानिक के मामले की तरह। उन्होंने कहा, ‘‘यह फैसला अनुमानों पर आधारित था, प्रथम दृष्टया भी कहीं नहीं टिक सकता और इसलिए यह रद्द किए जाने योग्य है।’’

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने अपील पर रमानी को नोटिस जारी किया और इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख निर्धारित की।

अकबर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं-राजीव नायर और गीता लूथरा ने दलील दी कि निचली अदालत ने गलत तरीके से रमानी को बरी किया जबकि उसने यह निष्कर्ष दिया था कि उनके आरोप मानहानिकारक थे।

नायर ने कहा, ‘‘निचली अदालत के न्यायाधीश ने कहा कि मानहानि हुई। यह मामला आईपीसी की धारा 499 के तहत आता है। उन्होंने यह मानहानिकजनक पाया। इस नतीजे पर पहुंचने के बाद फैसला दिया जाना चाहिए था।’’

अदालत ने जवाब दिया कि किसी भी सामग्री को मानहानिजनक पाना कार्यवाही में ‘‘पहला कदम’’ है जिसके बाद निचली अदालत को आरोपी के बचाव पर विचार करना होगा।’’

न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, ‘‘निचली अदालत का कहना है कि यह मानहानिजनक है लेकिन जिस संदर्भ में उन्होंने आरोप लगाए हैं उसका वैध बचाव है।’’

लूथरा ने कहा कि निचली अदालत ने सुनवाई के दौरान उठाई गईं आपत्तियों पर विचार किए बिना फैसला दिया।

अकबर ने निचली अदालत के 17 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है जिसमें रमानी को इस आधार पर बरी कर दिया गया था कि किसी महिला को दशकों बाद भी अपनी पसंद के किसी भी मंच के सामने शिकायत रखने का अधिकार है।

निचली अदालत ने अकबर द्वारा दायर शिकायत को खारिज करते हुए कहा था कि रमानी के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ।

गौरतलब है कि ‘मीटू’ अभियान के तहत 2018 में रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि यह घटना करीब 20 साल पहले की है जब अकबर पत्रकार थे और वह उनके मातहत काम करती थीं।

अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को रमानी के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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