दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजद्रोह मामले में शरजील इमाम की जमानत याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब

By भाषा | Updated: December 1, 2021 15:39 IST2021-12-01T15:39:22+5:302021-12-01T15:39:22+5:30

Delhi High Court seeks police response on Sharjeel Imam's bail plea in sedition case | दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजद्रोह मामले में शरजील इमाम की जमानत याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब

दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजद्रोह मामले में शरजील इमाम की जमानत याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब

नयी दिल्ली, एक दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम की जमानत याचिका पर बुधवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। इमाम पर 2019 में सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने इमाम की याचिका पर अभियोजन पक्ष को नोटिस जारी किया और उसे 11 फरवरी से पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 फरवरी की तारीख सूचीबद्ध की गई है। इमाम ने उसकी जमानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के 22 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी है।

इस मामले में जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़ आरोपी शरजील इमाम का प्रतिनिधित्व कर रहे थे अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने किया।

इमाम (32) ने कहा कि हिंसा करने के आरोप में गिरफ्तार सभी सह आरोपियों को इस मामले में जमानत दे दी गई है और वह अब भी पिछले 20 महीने से जेल में बंद हैं। याचिका में कहा गया, ‘‘यह स्वीकार करने के बाद भी कि अभियोजन पक्ष ने जिन सबूतों पर भरोसा किया, वह ‘अस्पष्ट’ हैं और सभी सह आरोपी जमानत पर हैं, इसके बाद भी निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी।’’

याचिका में कहा गया है कि इमाम का नाम प्राथमिकी में नहीं है और प्राथमिकी में उल्लेखित किसी भी घटना से उसका कोई संबंध नहीं है। इसमें यह आरोप लगाया गया कि उन्हें लक्षित अभियान के तहत जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया ताकि उनके खिलाफ एक ही समय कई प्राथमिकी और जांच हो।

याचिका में कहा गया, ‘‘ मौजूदा प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 124 क (राजद्रोह) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए याचिकाकर्ता के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन सीआरपीसी की धारा 196 के तहत जरूरी मंजूरी भी पेश करने में अभी तक सफल नहीं हो पाया है।''

निचली अदालत ने यह कहते हुए उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था कि अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल सांप्रदायिक शांति और सद्भाव की कीमत पर नहीं किया जा सकता।

अभियोजन के अनुसार, 13 दिसंबर, 2019 को इमाम ने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था जिसके परिणामस्वरूप दो दिन बाद जामिया नगर इलाके में हिंसा भड़क गई और करीब 3,000 लोगों की उपद्रवी भीड़ ने पुलिस कर्मियों पर हमले किए और कई वाहन फूंक दिए थे।

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