सरकार ने कोर्ट से कहा, कोरोना से मरने वालों के क्रियाकर्म के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहे हम
By भाषा | Updated: May 29, 2020 20:25 IST2020-05-29T20:25:17+5:302020-05-29T20:25:17+5:30
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि कोरोना से मरने वालों के शव को जलाने के लिए शवदाहगृहों का समय बढ़ाने से ले कर सभी आवश्यक कदम उठा रही है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी अभी बाकी है और जांच जारी है। (file-photo)
नई दिल्ली: आप सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि वह कोविड-19 मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए शवदाहगृहों का समय बढ़ाने से ले कर सभी आवश्यक कदम उठा रही है। दिल्ली सरकार ने अदालत से कहा कि बृहस्पतिवार को 28 शवों का अंतिम संस्कार किया गया और बाकी 35 लोगों के शवों का अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा। उसने कहा कि उन शवों का ही अंतिम संस्कार अभी नहीं किया जाएगा, जिनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी अभी बाकी है और जांच जारी है।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की एक पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई की उन्होंने ऐसी स्थिति दोबारा न आने देने का निर्देश देते हुए कहा कि कोई भी शव लौटाया ना जाए। अदालत ने दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगम को विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए दो जून की तारीख तय की।
कोविड-19 से जान गंवाने वालों के अंतिम संस्कार किए जाने की सुविधाओं के अभाव और शवगृह में शवों की बहुतायत की खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को इस पूरे मामले पर दुख जताया और इस मुद्दे से निपटने के लिए जनहित याचिका के तहत सुनवाई शुरू की।
अदालत ने कहा कि अगर यह वास्तविक हालात है तो ''यह बेहद असंतोषजनक और मृतक के अधिकारों का उल्लंघन है।'' पीठ ने खबरों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में कोविड-19 के शवगृह में 108 शव हैं, जिनमें से 28 फर्श पर एक-दूसरे के ऊपर ही पड़े हैं क्योंकि केवल 80 शव रखे जाने की ही व्यवस्था है। उच्च न्यायालय ने खबरों में पाया कि विशेष रूप से कोविड-19 के मरीजों के लिए तय किया गया यह शहर का सबसे बड़ा अस्पताल है और इसके शवगृह में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों अथवा संक्रमण के संदिग्ध मरीजों के शव रखे गए हैं।
खबरों में यह भी बताया गया है कि 26 मई को निगम बोध घाट से आठ शव को अंतिम संस्कार किए बिना ही लौटा दिया गया क्योंकि इसके आठ सीएनजी शवदाह गृह के दो ही हिस्से काम कर रहे थे और यह अधिक शवों का अंतिम संस्कार करने की सुविधा उपलब्ध कराने में असमर्थ था।
दिल्ली सरकार के वकील संजय घोष ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि एलएनजेपी अस्पताल को शवों को पंचकुइयां और पंजाबी बाग शवगृह भेजने का निर्देश देने के साथ ही स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं ।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अब बिजली और सीएनजी भट्टियों के अलावा लकड़ी के पारंपरिक दाह संस्कारों को अधिकृत कर दिया है, श्मशान और निकायों में सभी श्रमिकों के लिए निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) दिए गए हैं। वहीं शवदाहगृहों में अब कार्य अवधि सुबह नौ बजे से शाम चार बजे की बजाय सुबह सात बजे से लेकर रात 10 बजे तक बढ़ा दी गई है। अधिकारियों ने अदालत को आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो इसलिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।