दिल्ली की अदालत ने कुतुब मीनार परिसर के अंदर देवताओं की पूजा शुरू करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज की

By भाषा | Updated: December 9, 2021 15:23 IST2021-12-09T15:23:09+5:302021-12-09T15:23:09+5:30

Delhi court dismisses plea seeking to start worship of deities inside Qutub Minar complex | दिल्ली की अदालत ने कुतुब मीनार परिसर के अंदर देवताओं की पूजा शुरू करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज की

दिल्ली की अदालत ने कुतुब मीनार परिसर के अंदर देवताओं की पूजा शुरू करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज की

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर अयोध्या भूमि विवाद मामले में फैसले का जिक्र करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कुतुब मीनार परिसर में हिंदू और जैन देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा करने और पूजा के अधिकार के लिए एक दीवानी वाद खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि वर्तमान और भविष्य में शांति भंग करने के लिए पिछली गलतियों को आधार नहीं बनाया जा सकता है।

जैन देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव और हिंदू देवता भगवान विष्णु की ओर से दायर मुकदमे में दावा किया गया कि मोहम्मद गौरी की सेना में जनरल रहे कुतुबदीन ऐबक ने 27 मंदिरों को आंशिक रूप से ध्वस्त कर उनकी सामग्री का पुन: उपयोग करके परिसर के अंदर कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण कराया था।

यह वाद खारिज करते हुए दीवानी न्यायाधीश नेहा शर्मा ने कहा, ‘‘भारत का सांस्कृतिक रूप से समृद्ध इतिहास रहा है। इस पर कई राजवंशों का शासन रहा है। सुनवाई के दौरान वादी के वकील ने जोर देकर इसे राष्ट्रीय शर्म बताया। हालांकि, किसी ने भी इस बात से इनकार नहीं किया कि अतीत में गलतियां की गई थीं, लेकिन इस तरह की गलतियां हमारे वर्तमान और भविष्य की शांति को भंग करने का आधार नहीं हो सकती हैं।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमारे देश का एक समृद्ध इतिहास रहा है और इसने चुनौतीपूर्ण समय देखा है। फिर भी, इतिहास को समग्र रूप से स्वीकार करना होगा। क्या हमारे इतिहास से अच्छे हिस्से को बरकरार रखा जा सकता है और बुरे हिस्से को मिटाया जा सकता है?’’

उन्होंने 2019 में उच्चतम न्यायालय के अयोध्या फैसले का उल्लेख किया और अपने आदेश में इसके एक हिस्से पर प्रकाश डाला, जिसमें कहा गया था, ‘‘हम अपने इतिहास से परिचित हैं और राष्ट्र को इसका सामना करने की आवश्यकता है, स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण क्षण था। अतीत के घावों को भरने के लिए कानून को अपने हाथ में लेने वाले लोगों द्वारा ऐतिहासिक गलतियों का समाधान नहीं किया जा सकता है।’’

याचिका में कहा गया है कि प्रमुख देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव और प्रमुख देवता भगवान विष्णु, भगवान गणेश, भगवान शिव, देवी गौरी, भगवान सूर्य, भगवान हनुमान सहित 27 मंदिरों के पीठासीन देवताओं की क्षेत्र में कथित मंदिर परिसर में पुन: प्राण प्रतिष्ठा करने और पूजा करने का अधिकार है।

अधिवक्ता विष्णु एस जैन के इस वाद में ट्रस्ट अधिनियम 1882 के अनुसार, केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाने और कुतुब क्षेत्र में स्थित मंदिर परिसर का प्रबंधन और प्रशासन उसे सौंपने के लिए अनिवार्य निषेधाज्ञा जारी करने का अनुरोध किया गया था।

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Web Title: Delhi court dismisses plea seeking to start worship of deities inside Qutub Minar complex

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