नई दिल्ली: सीबीआई की टीम मंगलवार सुबह राजद सांसद मीसा भारती के घर पहुंची। सामने आई जानकारी के अनुसार सीबीआई की टीम लालू यादव से कथित 'लैंड फॉर जॉब' घोटाले में पूछताछ के लिए पहुंची है। लालू यादव सिंगापुर से इलाज कराकर लौटने के बाद अपनी बेटी मीसा भारती के दिल्ली स्थित घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। इससे पहले सीबीआई टीम सोमवार को राबड़ी देवी के पटना आवास पर उनसे पूछताछ के लिए पहुंची थी।
सीबीआई ने कल ही राबड़ी देवी से पूछताछ के बीच उनके पति और पूर्व रेल मंत्री लालू यादव को भी नोटिस जारी किया था। सीबीआई ने कल बताया था कि राबड़ी देवी को नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद उन्होंने सोमवार को उपलब्ध रहने की बात कही थी और जांच एजेंसी की टीम उनसे पूछताछ करने के लिए उनके आवास पर गई।
दरअसल, नौकरी के बदले जमीन (लैंड फॉर जॉब) मामले में सीबीआई पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है। दिल्ली की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों सहित अन्य आरोपियों को 15 मार्च को अदालत में पेश होने के लिए सम्मन भी जारी किया है।
अधिकारियों के अनुसार जांच एजेंसी ने कथित घोटाले की जांच खुली रखी है और मामले में आगे की जांच के तहत लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों से पूछताछ की जा रही है। यह मामला लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहने के दौरान उनके परिवार को तोहफे में जमीन दे कर या जमीन बेचने के बदले में रेलवे में कथित तौर पर ‘ग्रुप-डी’ की नौकरी दिए जाने से संबंधित है।
लैंड फॉर जॉब: क्या है पूरा मामला और लालू परिवार पर लगे हैं कैसे आरोप?
दर्ज प्राथमिकी में ऐसे आरोप हैं कि कुछ लोगों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित रेलवे के विभिन्न जोन में 2004-2009 के दौरान ग्रुप-डी पदों पर नियुक्त किया गया और इसके बदले में उन लोगों ने या उनके परिवार के सदस्यों ने लालू प्रसाद और एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के नाम पर अपनी जमीन दी। बाद में इस कंपनी का स्वामित्व लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने अपने हाथ में ले लिया था।
यह भी आरोप लगाया गया है कि पटना में लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने पांच बिक्री सौदों, दो उपहार सौदों के माध्यम से 1,05,292 वर्ग फुट जमीन लोगों से ली। इसके लिए विक्रेताओं को नगद भुगतान करने को कहा गया।
इस जमीन की कीमत वर्तमान ‘सर्किल रेट’ के अनुसार 4.32 करोड़ रुपये है, लेकिन लालू प्रसाद के परिवार को यह जमीन इससे बहुत कम दाम में बेची गई। साथ ही आरोप है कि नियुक्तियों के लिए रेलवे प्राधिकरण की ओर से जारी दिशानिर्देशों और आवश्यक प्रक्रियाओं को दरकिनार कर कथित लाभार्थियों की सेवाएं नियमित की गईं।
(भाषा इनपुट)