नयी दिल्ली, 18 दिसंबर दिल्ली विधानसभा ने भाजपा शासित नगर निगमों में कथित 2,500 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में सीबीआई जांच की मांग करने वाले एक प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित कर दिया।
आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की, जिसके बाद प्रस्ताव पारित हुआ।
उन्होंने दावा किया, ‘‘ भाजपा शासित निगमों में भ्रष्टाचार के मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामले में नए पार्षदों ने अपने पुराने पार्षदों के भी रिकॉर्ड तोड़ दिए।’’
भारद्वाज ने कहा, ‘‘ नगर निगम दिल्ली के लिए बेटी जैसी है, जिसे भाजपा को सौंपा गया था जिसने उसके साथ सास जैसा बर्ताव किया। भाजपा उसी तरह का व्यवहार करते हुए आप से 13,000 करोड़ रुपये की मांग कर रही है। 2017 नगर निगम चुनाव में भाजपा ने अपने सभी पार्षदों को बदल दिया था क्योंकि लोग उनसे खुश नहीं थे।’’
आप विधायक ने आरोप लगाया कि यहां भ्रष्टाचार हजारों करोड़ रुपये का है।
उन्होंने कहा, ‘‘ निगमों के भवन विभाग भ्रष्टाचार और रिश्वत की मांग के लिए बदनाम हैं। भाजपा के एक पार्षद को सीबीआई ने एक इमारत के निर्माण के संबंध में 10 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था।’’
विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने 2,500 करोड़ रुपये के कोष के हेरफेर के आरोप को ‘निराधार' करार दिया।
भाजपा विधायक ओपी शर्मा को जब चर्चा के दौरान बोलने की इजाजत नहीं मिली तो उन्होंने सदन का बायकाट किया। भाजपा के विधायकों ने अपनी सीटों पर तख्तियां दिखाते हुए नगर इकाइयों के बकाया 13000 करोड़ रुपये जारी करने की मांग की।
इससे पहले सदन में आप के विधायकों ने नगर निगमों में 2,500 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाने वाला बड़ा पोस्टर भी लहराया था।
विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी क्योंकि व्यवस्था बनाए रखने और कार्यवाही जारी रखने के उनके प्रयास के बाद भी आप के विधायक बैनर दिखाते हुए नारे लगा रहे थे।
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