Delhi Assembly Election 2020: हार के बाद कांग्रेस में बवाल, पीसी चाको ने दिया शीला दीक्षित पर बयान, जुबानी जंग छिड़ी

By भाषा | Updated: February 12, 2020 16:28 IST2020-02-12T16:28:56+5:302020-02-12T16:28:56+5:30

कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बारे में अपने एक कथित बयान को लेकर कुछ नेताओं के निशाने पर आ गए तो कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उन नेताओं को आड़े हाथ लिया जो कांग्रेस के सफाए के बावजूद चुनाव परिणाम को भाजपा के खिलाफ जनादेश के तौर पर पेश करके खुशी का इजहार कर रहे हैं।

Delhi Assembly Election 2020: Ruckus in Congress after defeat, PC Chacko gave statement on Sheila Dixit, war broke out | Delhi Assembly Election 2020: हार के बाद कांग्रेस में बवाल, पीसी चाको ने दिया शीला दीक्षित पर बयान, जुबानी जंग छिड़ी

चुनावी हार के लिए दिवंगत शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है।

Highlightsचाको ने कथित तौर पर कहा कि कांग्रेस पार्टी का पतन 2013 में शुरू हुआ जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने चाको की कथित टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद पार्टी के भीतर घमासान मच गया है और नेताओं के बीच जुबानी जंग भी छिड़ गई है।

पार्टी के प्रभारी पीसी चाको पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बारे में अपने एक कथित बयान को लेकर कुछ नेताओं के निशाने पर आ गए तो कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उन नेताओं को आड़े हाथ लिया जो कांग्रेस के सफाए के बावजूद चुनाव परिणाम को भाजपा के खिलाफ जनादेश के तौर पर पेश करके खुशी का इजहार कर रहे हैं।

दरअसल, उस वक्त एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब कांग्रेस नेता चाको ने कथित तौर पर कहा कि कांग्रेस पार्टी का पतन 2013 में शुरू हुआ जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं। बाद में चाको ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी तरह से शीला दीक्षित को जिम्मेदार नहीं ठहराया है, बल्कि सिर्फ यह तथ्य रख रहे थे कि पार्टी का प्रदर्शन कैसे धीरे-धीरे खराब होता चलाया गया और कांग्रेस का वोट आप की तरफ चला गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने चाको की कथित टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि चुनावी हार के लिए दिवंगत शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है।

देवरा ने कहा, ‘‘शीला दीक्षित जी एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ और प्रशासक थीं। मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली की तस्वीर बदली और कांग्रेस पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई। उनके निधन के बाद उनको जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने अपना जीवन कांग्रेस और दिल्ली के लोगों के लिए समर्पित कर दिया।’’ शीला दीक्षित के करीबी रहे कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी चाको पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ 2013 में जब हम हारे तो कांग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे।

शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया। 2019 में जब शीला जी ने कमान संभाली तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत 22.46 फीसदी हो गया।’’ दूसरी तरफ, दिल्ली महिला कांग्रेस की प्रमुख शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी पार्टी के उन नेताओं पर निशाना साधा जो दिल्ली के जनादेश को भाजपा की हार के तौर पर पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने भाजपा को पराजित करने का काम क्षेत्रीय दलों को आउटसोर्स कर दिया है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) को अपनी दुकान बंद कर देना चाहिए।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम द्वारा विपक्ष का हौसला बढ़ाने वाला परिणाम करार दिए जाने पर शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने भाजपा को पराजित करने का काम क्षेत्रीय दलों को आउटसोर्स कर दिया है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) को अपनी दुकान बंद कर देना चाहिए।

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा ने चिदंबरम के एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘‘ सर, पूरे सम्मान के साथ कहना चाहती हूं कि क्या कांग्रेस ने भाजपा को पराजित करने के लिए प्रादेशिक स्तर के दलों को आउटसोर्स कर रखा है? अगर ऐसा नहीं है तो हम अपनी करारी शिकस्त के बारे में चिंता करने की बजाय आम आदमी पार्टी की जीत पर खुशी क्यों मना रहे हैं? और अगर यह ‘हां’ है तो फिर हमें (पीसीसी) दुकान बंद कर देनी चाहिए।’’

दरअसल, चिदंबरम ने ट्वीट किया था, ‘‘अगर मतदाता उन राज्यों के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां से वे आए थे, तो दिल्ली का मत विपक्ष का यह विश्वास बढ़ाने वाला है कि भाजपा को हर राज्य में हराया जा सकता है। दिल्ली का वोट राज्य विशेष के वोट की तुलना में अखिल भारतीय वोट है क्योंकि दिल्ली एक मिनी इंडिया है।’’

शर्मिष्ठा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मंगलवार को भी पार्टी के शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने में विलंब और एकजुटता में कमी की बात कही थी। गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप ने 62 सीटें हासिल करके शानदार जीत दर्ज की है। भाजपा को महज आठ सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। 

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